Sawan 2023 Shivling Me Jal Chadane Ke Niyam: भगवान शिव का प्रिय माह सावन चल रहा है। इस साल अधिक मास होने के कारण सावन मास पूरे दो माह पड़ रही है। सावन मास के दौरान भक्तगण भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ अभिषेक करते हैं। आमतौर पर भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए बिल्कुल उनके शीश में चढ़ाते हैं। ज्योतिषों के अनुसार, यह तरीका बिल्कुल सही तरीका नहीं है। जानिए भगवान शिव को किस तरह चढ़ाएं जल।

कहा जाता है कि भगवान शिव को जल अति प्रिय है। उन्हें जल चढ़ाने मात्र से वह प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की हर एक मनोकामना को पूरा कर देते हैं। जानिए प्रसिद्ध पंडित जगन्नाथ गुरुजी से कैसे शिवलिंग में चढ़ाएं जल।

किस दिशा में खड़े होकर शिवलिंग में चढ़ाएं जल?

जगन्नाथ गुरु जी के अनुसार, शिवलिंग में जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपका मुख किस ओर है। कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार है। ऐसे में इस दिशा  में मुख करके जल चढ़ाने से रास्ते में अवरोध आता है। इसलिए हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही जल चढ़ाना चाहिए। क्योंकि इस दिशा को भगवान शिव का बाया अंग माना जाता है, जो मां पार्वती को समर्पित है।

इस विधि से शिवलिंग में चढ़ाएं जल

  • शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव को जल चढ़ाते समय कुछ नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इसलिए कभी भी जल चढ़ाते समय तेज दारा न अर्पित करें, बल्कि धीरे-धीरे चढ़ाएं और शिव मंत्र का जाप करते रहें।
  • तांबे, कांसे या फिर चांदी के पात्र में जल लेकर सबसे पहले जलहरी के दाईं ओर चढ़ाएं, जो गणेश जी का स्थान माना जाता है। जल चढ़ाते समय गणेश मंत्र को बोले।
  • दाएं ओर जल चढ़ाने के बाद बाईं ओर जल चढ़ाएं। इसे भगवान कार्तिकेय का स्थान माना जाता है।
  • दाएं और बाएं ओर चढ़ाने  के बाद जलहरी के बीचों-बीच जल चढ़ाएं। इस स्थान को शिव जी की पुत्री अशोक सुंदरी की मानी जाती है।
  • अशोक सुंदरी को जल चढ़ाने के बाद जलधारी के गोलाकार हिस्सा में जल चढाएं। इस स्थान को मां पार्वती का हस्तकमल होता है।
  • अंत में शिवलिंग में धीरे-धीरे शिव मंत्र बोलते हुए जल चढ़ाएं।

हमेशा बैठकर चढ़ाएं शिवलिंग में जल

पंडित जगन्नाथ गुरु जी के अनुसार शिवलिंग में जल अर्पित करते समय हमेशा बैठ जाएं। माना जाता है कि खड़े होकर जल चढ़ाने से शिव जी प्रसन्न नहीं होते हैं और न ही पूजा का पुण्य फल मिलता है।