सावन के महीने को अंत होने में कुछ ही दिन बचे हैं। साथ ही सावन का अंतिम सोमवार 8 दिसंंबर को है। इस दिन भक्त भोलेनाथ की विशेष पूजा- अर्चना करते हैं और व्रत भी रखते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि सावन के सोमवार पर अगर विधि- विधान से रुद्राक्ष धारण किया जाए तो भोलेनाथ के साथ- साथ मांं लक्ष्मी की कृपा भी बरसती है। आपको बता देंं कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव की आंशुओं से हुई है। इसलिए इसे शिव का अंश माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार प्राणियों के कल्याण के लिए जब कई सालों तक ध्यान करने के बाद भगवान शिव ने आंखें खोलीं, तब आंसुओं की बूंदें गिरी थीं जिससे बहुत से महारुद्राक्ष के पेड़ हो गए थे। रुद्र की आंखों के उत्पन्न होने के कारण इसे रुद्राक्ष का नाम दिया गया है।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लाभ
1- सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति कई स्त्रोतों से धन कमाने में सफल रहता है, मां लक्ष्मी की कृपा ऐसे व्यक्ति पर सदैव बनी रहती है ।
2- ज्योतिष अनुसार शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के टाइम पीरियड पर 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ मिलता। साथ ही इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले पर शनिदेव भी प्रसन्न रहते हैं।
3- नौकरी और व्यापार में आशातीत सफलता पाने के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष को धारण चाहिए ।
4- सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्नायु तंत्र से सम्बंधित रोगों में लाभ प्राप्त होता है ।
5- मानसिक परेशानी, गठिया दर्द, हड्डी व मांसपेशियों में पीड़ा व अस्थमा जैसे रोगों में सात मुखी रुद्राक्ष पहनने से लाभ मिलता है।
6- सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को व्यापार में अच्छा धनलाभ होता है।
इस विधि से करें धारण
- सावन के अंतिम सोमवार पर रुद्राक्ष को सबसे पहले लाल साफ कपड़े में रखकर पूजा स्थान पर रखें।
- रुद्राक्ष को पहले पंचामृत डुबोना चाहिए और फिर गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए।
- इसे पहनने से पहले रुद्राक्ष को शिवलिंग पर अर्पित करें और शिव मंत्र या ओम नम: शिवाय का जाप करें।
- हाथ में थोड़ा सा गंगाजल लेकर रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लें और फिर जल को नीचे छोड़ दें। इसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें।
- रुद्राक्ष गले में या हाथ में धारण कर सकते हैं और इसे हमेशा लाल धागे में ही धारण करें।
- कलाई में रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो इसमें रुद्राक्ष के 12 दाने, गले में धारण कर रहे हैं तो 36 दाने और यदि आप हृदय में रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो 108 रुद्राक्ष के दाने होने चाहिए। ऐसा शास्त्रों में लिखा हुआ है।