सावन का महीना शुरू हो चुका है। सावन का महीना भोलेनाथ को विशेष प्रिय है। इस महीने शिव भक्त रोजाना ही भगवान शिव की पूजा- अर्चना करते हैं। वहीं सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करने का भी विशेष महत्व होता है। लेकिन क्या आपको पता है भगवान शिव को कौन- कौन सी चीजें अर्पित या चढ़ाई जाती हैं और कौन सीं नहीं। आइए जानते हैं…
भगवान शिव को अर्पित करें ये चीज:
दूध से करें रुद्राभिषेक: भोलेनाथ का दूध और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार जब समुद्र मंथन के दौरान विषपान करने से भगवान शंकर का कंठ जलने लगा था तब देवताओं के आग्रह पर दूध पीने से उनकी जलन कम हुई थी। इसलिए तब से भगवान शिव पर दूध चढ़ने का प्रचलन शुरू हो गया। दूध चढ़ाने से व्यक्ति को यश और वैभव की प्राप्ति होती है।
बेलपत्र: बेलपत्र भोलेनाथ को बेहद प्रिय है और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए बिना पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता। शिवलिंग पर बेलपत्रअर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
धतूरा: शास्त्रों के अनुसार धतूरा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। भोलेनाथ की पूजा में इसके फल और फूल को विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि जो दंपत्ति धतूरे के फूल के साथ भगवान शिव की पूजा करते है, उन्हें शिव कृपा से जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।
कनेर का फूल: कनेर का पुष्प भोलेनाथ को विशेष प्रिय है। कनेर का पुष्प चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्त को सुख- समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
ये चीजें भी करें अर्पित:
मान्यता है कि इत्र, चंदन, बेलपत्र, भांग, केसर, गंगाजल, शहद, अक्षत, शक्कर, दही, घी, गन्ने का रस और कनेर फूल भोलेनाथ को अति प्रिय हैं। इसलिए पूजा और रुद्राभिषेक में इन चीजों का भी जरूर इस्तेमाल करना चाहिए।
भगवान शिव की पूजा में इन चीजों का इस्तमाल माना जाता है वर्जित:
हल्दी का नहीं करें प्रयोग: शास्त्रों के अनुसार भोलेनाथ की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। दरअसल हल्दी का उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक माना जाता है। इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती।
रोली: शास्त्रों के अनुसार भोलेनाथ को कुमकुम और रोली नहीं लगाई जाती है। हा सफेद पीले चंदन भोलेनाथ को अतिप्रय है। इसलिए चंदन का प्रयोग पूजा में कर सकते हैं।
शिव पूजा में वर्जित है शंख:
शास्त्रों के अनुसार भोलेनाथ ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना जाता है। साथ ही रुद्राभिषेक भी शिवलिंग का श्रंगी से किया जाता है।
नारियल पानी: नारियल पानी से भोलेनाथ का अभिषेक नहीं करना चाहिए क्योंकि नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और भगवान शिव ने मां लक्ष्मी को अपनी बहन स्वीकार किया है।
तुलसी: शिवलिंग पर तुलसी भी नहीं चढ़ानी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार तुलसी भगवान श्रीहरि की पटरानी हैं और तुलसी जी ने अपनी तपस्या से भगवान श्रीहरि को पतिरूप में प्राप्त किया था। इसलिए तुलसी का पत्ना चढ़ाने से भोलेनाथ नाराज हो सकते हैं।