शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का नाम सुनकर हर इंसान चिंता में पड़ जाता है। जबकि ऐसा नहीं है शनि ग्रह कर्म प्रधान ग्रह हैं और कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि ग्रह की बात करें तो ये कुंभ और मकर के स्वामी हैं। जबकि तुला में ये उच्च के हो जाते हैं और मेष राशि में ये नीच के। मतबल मेष राशि में ये बुरा फल देते हैं। क्योंकि मेष राशि में सूर्य देव उच्च के होते हैं और ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को ही शनि ग्रह के पिता बताए गए हैं। लेकिन दोनों के स्वभाव में विरोधाभास देखने को मिलता है।

बता दें वर्तमान में शनि की तीनों प्रिय राशियां पर शनि साढ़ेसाती और ढैय्या की चल रही है। जिसमें से मकर और कुंभ वालों पर शनि साढ़ेसाती चल रही है तो तुला वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। 

जानिए क्या होती है साढ़ेसाती और ढैय्या: बता दें कि हर मनुष्य के जीवन में तीन बार साढ़ेसाती जरूर आती है। पहले चरण में शनि मनुष्य के मुख पर रहते हैं और दूसरे चरण में उदर यानि पेट पर। साथ ही तीसरे चरण में शनि पैरों पर आ जाते हैं। ये क्रम साढ़ेसाती का चलता है। मतलब व्यक्ति को साढ़े सात साल शनि की दशा में रहना पड़ता है। साढ़ेसाती में तीन चरण होते हैं। हर चरण की अवधि ढाई वर्ष की होती है। 

जानिए कब मिलेगी इससे मुक्ति: शनि 24 जनवरी 2020 से मकर राशि में विचरण कर रहे हैं और 29 अप्रैल 2022 तक इसी राशि में स्थित रहेंगे। इसके बाद कुंभ राशि में गोचर कर जायेंगे। इसलिए वर्तमान में मकर राशि वालों पर शनि साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है और कुंभ राशि वालों पर इसका पहला चरण है। 

ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह 29 अप्रैल 2022 को मकर राशि से निकल कर कुंभ राशि में गोचर करने जा रहे हैं। वो इस राशि में 29 मार्च 2025 तक रहेंगे। इसके बाद मीन राशि में प्रवेश करेंगे। शनि ग्रह के इस प्रकार राशि परिवर्तन से उनकी महादशा की चाल भी बदलेंगी।(यह भी पढ़ें)- अच्छे पति साबित होते हैं इन 4 राशि वाले लड़के, अपनी पत्नी को रखते हैं सिर-आंखों पर

शनि के राशि परिवर्तन का प्रभाव: शनि ग्रह के कुंभ राशि में गोचर करने से मिथुन और तुला राशियां को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन इन राशियों को ढैय्या से पूरी तरह मुक्ति जनवरी 2023 में मिलेगी, जब शनि मार्गी होगें। क्योंकि मार्गी होने पर शनि के शुभ फलों में बढ़ोत्तरी होती है।

साथ ही 29 मार्च 2022 को धनु राशि पर शनि की साढेसाती का प्रभाव में कमी आएगी। लेकिन पूरी तरह मुक्ति इन्हें भी जनवरी 2023 में मिलेगी। कुंभ राशि में शनि के प्रवेश के कारण मकर, कुंभ और मीन राशियां शनि की साढेसाती से प्रभावी रहेगी। इस बीच एक बार फिर शनि व्रकी होकर 12 जुलाई 2022 में मकर राशि में गोचर करेगें।