Saturn Retrograde 2020 Effects And Remedies: शनि देव की चाल में परिवर्तन आ गया है। शनि 11 मई से लेकर 29 सितंबर तक मकर राशि में पीछे की ओर चलेंगे। शनि की ये उल्टी चाल उन राशि वालों के कष्ट बढ़ाएगी जिन पर शनि की  साढ़े साती या फिर ढैय्या चल रही है। तो ऐसे में शनि को शांत करना बेहद जरूरी है क्योंकि शनि का वक्री होना अच्छा संकेत नहीं है। जानिए ज्योतिष में शनि की वक्री चाल के बुरे प्रभावों से बचने के लिए क्या उपाय बताए गए हैं…

शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है कि हर शनिवार इनकी विधिवत पूजा अर्चना करें। शनिवार शनि देवता का दिन तो माना जाता है ही, लेकिन इसी के साथ ही इस दिन हनुमान जी की भी पूजा होती है। कहा जाता है कि शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी के साथ शनिदेव की भी कृपा प्राप्त हो जाती है। ज्योतिष अनुसार शनि की साढ़े साती या फिर ढैय्या के दौरान गरीबों जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए। मांस मदिरा से परहेज करना चाहिए। जानवरों को रोटी खिलानी चाहिए। हो सके तो घर में काला कुत्ता पालना चाहिए या फिर बाहर अगर कोई काला कुत्ता आपको मिल जाए तो उसे सरसों के तेल से बनी रोटी खिलाएं। इससे शनि दोष से मुक्ति मिलती है।

Shani Vakri 2020: शनि हुए वक्री 11 मई से 29 सितंबर तक आपकी नौकरी, व्यापार, लव लाइफ और हेल्थ पर क्या पड़ेगा इसका असर जानिए

‘ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। शनिदेव का पूजन इन दस नामों से करें: कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद व पिप्पलाद। काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को अभिमंत्रित करवा कर धारण करने से भी शनि मजबूत होते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि देव के उपवास भी रखे जाते हैं। शाम के समय पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से लाभ मिलता है। शनिदेव का काला और नीला रंग प्रिय माना गया है इसलिए शनिवार के दिन इन रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। घर के मंदिर में सुंदरकांड का पाठ कम से कम 11 बार कराएं। प्रत्येक शनिवार दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें या शनि नील स्तोत्र का पाठ करें।