आज देशभर में बसंत पंचमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। कई जगहों पर मेलों का भी आयोजन किया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी तिथि पर रवि योग के साथ रेवती और अश्विनी नक्षत्र बन रहा है। इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती प्राकट्य हुई थी। इस दिन सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी को प्रकट किया था। देवी सरस्वती कमल में विराजमान और चार हाथों से सुशोभित थी। एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाल वर मुद्रा में था। ऐसे में ब्रह्मा जी ने इनका नाम देवी सरस्वती रखा। इसके साथ ही इस दिन से ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ बसंत ऋतु भी आरंभ हो जाता है। इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने के साथ पीले रंग का भोग लगाता शुभ माना जाता है, क्योंकि मां को पीला रंग अति प्रिय है। ऐसे में इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने के साथ उन्हें पीला रंग का भोग के साथ पीले रंग के माला और वस्त्र अर्पित करें। आइए जानते हैं बसंत पंचमी संबंधित हर एक अपडेट…
Maa Saraswati Ji Ki Aarti: यहां पढ़े सरस्वती जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी
अगर आप अपनी बच्ची के लिए प्यारा सा नाम ढूंढ रही हैं, तो मां सरस्वती के इन नामों से से खूबसूरत सा नाम ढूंढ सकते हैं। आशवी, दिव्यांगा,वाची, विदुषी, अक्षरा, वागीशा, ज्ञानदा आदि रख सकते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि के रचनाकर ब्रह्मा जी ने इसी दिन ज्ञान, विद्या, संगीत की देवी मां सरस्वती को प्रकट किया था। इसी के कारण बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। इसके साथ ही सभी ऋतुओं में श्रेष्ठ बसंत ऋतु भी इसी दिन से शुरूआत होती है।
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
अगर आपके बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगा रहै है, तो आज यानी बसंत पंचमी के दिन स्टडी टेबल में सरस्वती जी की मूर्ति या तस्वीर रख सकते हैं। ऐसा करने से एकाग्रता और ज्ञान में वृद्धि होती हैं। आप चाहे तो सरस्वती जी की मूर्ति या तस्वीर को स्टडी रूम से उत्तर-पूर्व दिशा में रख सकते हैं।
बसंत पंचमी के दिन किसी से भी प्रकार का वाद-विवाद न करें और न ही किसी को अपशब्द कहें।
इस दिन से बसंत ऋतु भी आरंभ हो जाती है। इसलिए इस दिन पेड़-पौधे या फिर फसल काटने की मनाही होती है।
बसंत पंचमी के दिन शुद्ध शाकाहारी भोजन करें। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें।
बड़ों का आदर सम्मान करें।

जीवन का ये बसंत, खुशियां दे अनंतप्रेम और उत्साह से भर दे जीवन में रंग।बसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं
फूलों की वर्षा, शरद की फुहार,सूरज की किरणें, खुशियों की बहार,चंदन की खुशबू, अपनों का प्यार,मुबारक हो आप सभी को बसंत पंचमी का त्योहार।
वर दे, वीणावादिनि वर दे ।प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नवभारत में भर दे ।वीणावादिनि वर दे ॥काट अंध उर के बंधन स्तरबहा जननि ज्योतिर्मय निर्झरकलुष भेद तम हर प्रकाश भरजगमग जग कर दे ।वर दे, वीणावादिनि वर दे ॥नव गति, नव लय, ताल छंद नवनवल कंठ, नव जलद मन्द्र रवनव नभ के नव विहग वृंद को,नव पर नव स्वर दे ।वर दे, वीणावादिनि वर दे ॥वर दे, वीणावादिनि वर दे।प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नवभारत में भर दे ।वीणावादिनि वर दे ॥

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवलाया शुभ्र-वस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकराया श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत-शङ्कर-प्रभृतिभिर्देवैःसदा पूजिता
सा मां पातु सरस्वती भगवतीनिःशेषजाड्यापहा॥1॥
दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिःस्फटिकमणिमयीमक्षमालां दधाना
हस्तेनैकेन पद्मं सितमपिच शुकं पुस्तकं चापरेण।
भासा कुन्देन्दु-शंखस्फटिकमणिनिभाभासमानाऽसमाना
सा मे वाग्देवतेयं निवसतुवदने सर्वदा सुप्रसन्ना॥2॥
आशासु राशी भवदंगवल्लि भासैवदासीकृत-दुग्धसिन्धुम्।
मन्दस्मितैर्निन्दित-शारदेन्दुंवन्देऽरविन्दासन-सुन्दरि त्वाम्॥3॥
शारदा शारदाम्बोजवदना वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात्॥4॥
सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृ-देवताम्।
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जनाः॥5॥
पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्नः सरस्वती।
प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या॥6॥
शुद्धां ब्रह्मविचारसारपरमा-माद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्पाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥7॥
वीणाधरे विपुलमंगलदानशीले
भक्तार्तिनाशिनि विरिंचिहरीशवन्द्ये।
कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्॥8॥
श्वेताब्जपूर्ण-विमलासन-संस्थिते हे
श्वेताम्बरावृतमनोहरमंजुगात्रे।
उद्यन्मनोज्ञ-सितपंकजमंजुलास्ये
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्॥9॥
मातस्त्वदीय-पदपंकज-भक्तियुक्ता
ये त्वां भजन्ति निखिलानपरान्विहाय।
ते निर्जरत्वमिह यान्ति कलेवरेण
भूवह्नि-वायु-गगनाम्बु-विनिर्मितेन॥10॥
मोहान्धकार-भरिते हृदये मदीये
मातः सदैव कुरु वासमुदारभावे।
स्वीयाखिलावयव-निर्मलसुप्रभाभिः
शीघ्रं विनाशय मनोगतमन्धकारम्॥11॥
ब्रह्मा जगत् सृजति पालयतीन्दिरेशः
शम्भुर्विनाशयति देवि तव प्रभावैः।
न स्यात्कृपा यदि तव प्रकटप्रभावे
न स्युः कथंचिदपि ते निजकार्यदक्षाः॥12॥
लक्ष्मिर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तृष्टिः प्रभा धृतिः।
एताभिः पाहि तनुभिरष्टभिर्मां सरस्वती॥13॥
सरसवत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नमः।
वेद-वेदान्त-वेदांग-विद्यास्थानेभ्य एव च॥14॥
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तु ते॥15॥
यदक्षर-पदभ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥16॥
॥ इति श्रीसरस्वती स्तोत्रम् संपूर्णं ॥
एकाक्षर मंत्र
ऐं॥
द्वाक्षर मंत्र
ऐं लृं।।
सरस्वती मंत्र
वद वद वाग्वादिनी स्वाहा॥
ॐ ऐं नमः॥
ॐ ऐं क्लीं सौः॥
ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः॥
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः॥
ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम्कारी
वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा॥
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त 2024- सुबह 7 बजकर 1 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक
अवधि- 05 घंटे 35 मिनट
बसंत पञ्चमी मध्याह्न का क्षण- दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
पंचमी तिथि प्रारंभ- 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से शुरू
पंचमी तिथि समाप्त- 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक
Basant Panchami 2024 Date, Puja Timings: बसंत पंचमी आज, जानें शुभ मुहूर्त और मां सरस्वती पूजन विधि
उत्तराखंड के माणा गांव में सरस्वती का मंदिर स्थिति है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी सृष्टि का संचार कर रहे हैं, तो उन्होंने देवी को यहीं पर मां सरस्वती प्रकट को प्रकट किया था। ये देश का आखिरी गांव भी है। यह मंदिर बद्रीनाथ से करीब 3 किमी होती है।
सरस्वती की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करते समय हाथ में अक्षत लें लें और इस मंत्र कोबोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ। इस मंत्र को बोलकर अक्षत छोड़ें। इसके बाद जल लेकर ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ श्री सरस्वतयै नमः।।
मां सरस्वती को पीले रंग काफी प्रिय है। इसलिए बसंत पंचमी के मौके पर उन्हें पीले रंग का भोग लगा सकते हैं। इसमें आप राजभोग, केसरयुक्त खीर, बूंदी, बेसन के लड्डू आदि शामिल कर सकते हैं।
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
माना जाता है कि माता सरस्वती को पीला रंग अति प्रिय है। इसके साथ ही सूर्य का उत्तरायण होने के कारण इस रंग को काफी महत्व दिया गया है। इसलिए आज के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना काफी शुभ माना जाता है।
आज सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद मां सरस्वती को पीले या सफेद रंग के फूल, माला, रोली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले रंग की मिठाई आदि अर्पित कर दें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर मां सरस्वती जी वंदना,सरस्वती मंत्र, सरस्वती चालीसा, कथा और अंत में आरती कर लें।
हे शारदे मां, हे शारदे मांं,
अज्ञानता से हमें तार दे मां
तू स्वर की देवी ये संगीत तुझ से,
हर शब्द तेरा है हर गीत तुझ से,
हम है अकेले, हम है अधूरे,
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे मां
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ…
मुनियों ने समझी, गुनियों ने जानी,
वेदों की भाषा, आगम की बानी,
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने,
विद्या का हमको अधिकार दे मां
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ…
तू श्वेतवर्णी कमल पे विराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सिर पे साझे,
मन से हमारे मिटाके अंधेरे,
हमको उजालों का संसार दे मां
हे शारदे माँ, हे शारदे मां…
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि को बसंत पंचमी 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी, जो 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। इसके साथ ही सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
॥ दोहा ॥
जनक जननि पद कमल रज,निज मस्तक पर धारि। बन्दौं मातु सरस्वती,बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव,महिमा अमित अनंतु। रामसागर के पाप को,मातु तुही अब हन्तु॥
॥ चौपाई ॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥ जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुजधारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता॥ जग में पाप बुद्धि जब होती।जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥
तबहि मातु ले निज अवतारा।पाप हीन करती महि तारा॥ बाल्मीकि जी थे बहम ज्ञानी।तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामायण जो रचे बनाई।आदि कवी की पदवी पाई॥ कालिदास जो भये विख्याता।तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्धाना।भये और जो ज्ञानी नाना॥ तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा।केवल कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी॥ पुत्र करै अपराध बहूता।तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥
राखु लाज जननी अब मेरी।विनय करूं बहु भाँति घनेरी॥मैं अनाथ तेरी अवलंबा।कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधु कैटभ जो अति बलवाना।बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥ समर हजार पांच में घोरा।फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥
मातु सहाय भई तेहि काला।बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥ तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।छण महुं संहारेउ तेहि माता॥ रक्तबीज से समरथ पापी।सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥
काटेउ सिर जिम कदली खम्बा।बार बार बिनवउं जगदंबा॥ जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा।छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥
भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई।रामचन्द्र बनवास कराई॥एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा।सुर नर मुनि सब कहुं सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना॥ विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी॥ दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता॥ नृप कोपित जो मारन चाहै।कानन में घेरे मृग नाहै॥
सागर मध्य पोत के भंगे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥ भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करइ न कोई॥ पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि माई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा॥ धूपादिक नैवेद्य चढावै।संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करै हमेशा।निकट न आवै ताहि कलेशा॥ बंदी पाठ करें शत बारा।बंदी पाश दूर हो सारा॥
करहु कृपा भवमुक्ति भवानी।मो कहं दास सदा निज जानी॥
॥ दोहा ॥
माता सूरज कान्ति तव,अंधकार मम रूप। डूबन ते रक्षा करहु,परूं न मैं भव-कूप॥
बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि,सुनहु सरस्वति मातु। अधम रामसागरहिं तुम,आश्रय देउ पुनातु॥
बसंत पंचमी पर अगर आप भी मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं, तो पहले से ही ये सामग्री इकट्ठा कर लें। मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर, सफेद तिल के लड्डू सफेद,अक्षत, घी का दीपक, अगरबत्ती और बाती, एक पान, सुपारी, लौंग हल्दी या कुमकुम, तुलसी दल , जल के लिए एक लोटा, लकड़ी की चौकी, आम के पत्ते, मौसमी फल, मीठे पीले चावल, बूंदी के लड्डू, घी , दीपक आदि रख लें।
बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलेगा। बता दें कि पंचमी तिथि दोपहर तक ही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि को बसंत पंचमी 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी, जो 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। इसलिए करीब साढ़े पांच घंटे का ही समय मिलेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बसंत पंचमी का दिन काफी खास है, क्योंकि इस दिन काफी बड़े-बड़े योग बन रहे हैं, जिससे कुछ राशियों को विशेष लाभ मिलेगा। बता दें कि इस दिन मकर राशि में मंगल, शुक्र और बुध की युति हो रही है, जिससे त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही मेष राशि में चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी योग बन रहा है और मकर राशि में मंगल और शुक्र की युति से धनशक्ति राजयोग, शुक्र और बुध की युति से लक्ष्मी नारायण राजयोग और मंगल के उच्च राशि यानी मकर राशि में जाने से रूचक योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में मेष, मिथुन और मकर राशि के जातकों को विशेष लाभ मिल सकता है।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने के साथ पीले रंग का भोग लगाना अति शुभ माना जाता है। इसलिए बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को मीठे चावल, मालपुआ, राजभोग, बूंदी, बेसन के लड्डू आदि चीजों का भोग लगा सकते हैं।
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को लगाएं ये 5 भोग, हर कष्ट से मिलेगा छुटकारा, जीवन में आएंगी खुशियां
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के साथ कामदेव और रति की पूजा करने का भी विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब कामदेव और रति स्वर्ग से पृथ्वी आते हैं, तो बसंत ऋतु का आरंभ होता है। इसलिए संसार में प्रेम की भावना बनी रहें। इसके लिए बसंत पंचमी को पूजा करने का विधान है।
बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्तों में से एक माना जाता है यानी कि इस दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे किसी भी शुभ काम को किया जा सकता है। ऐसे में इस दिन घर मां सरस्वती की मूर्ति लगानी चाहिए। इसके अलावा बंसुरी या अन्य वाघ्य यंत्र ला सकते हैं। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार, हर एक छात्र को पढ़ाई शुरू करने से पहले इस सरस्वती मंत्र को जरूर बोलना चाहिए। इससे मां सरस्वती की कृपा बनी रहती हैं और बुद्धि तेज होती है।
सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी,विद्यारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा।
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा करना शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद बसंत पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद मां सरस्वती को पीले या सफेद रंग के फूल, माला, रोली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले रंग की मिठाई आदि अर्पित कर दें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर मां सरस्वती जी वंदना,सरस्वती मंत्र, सरस्वती चालीसा, कथा और अंत में आरती कर लें।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दिन घर या फिर ऑफिस में देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापना करना काफी शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर, स्टडी रूम या फिर ऑफिस के उत्तर-पूर्व दिशा में मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। इससे घर में खुशहाली आती है।