कहा जाता है कि विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म बसंत पंचमी के दिन ही हुआ था।। हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन छोटे बच्चे पहली बार किताब और कलम पकड़ते हैं। कई बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत भी इसी दिन से होती है। इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी, शुक्रवार को है। घरों के साथ-साथ स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में भी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। देश के विभिन्न हिस्सों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। बिहार में जहां इस दिन पंडाल लगाकर मां सरस्वती की मूर्ति बिठाई जाती है, वहीं पंजाब में इस दिन पतंगबाजी की आयोजन होता है।
Maa Saraswati Ji Ki Aarti: यहां पढ़े सरस्वती जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी
बसंत पंचमी का महत्व: इस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है जिसमें किसी भी समय लोग कोई भी शुभ कार्य को कर सकते हैं। इस दिन शादी से लेकर मुंडन जैसे सभी शुभ कार्य किये जा सकते हैं। इस पर्व के साथ ही बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। वहीं, विद्वानों के मुताबिक आज के दिन श्रद्धापूर्वक देवी का सुमिरन करने से भक्तों को अच्छी बुद्धि और विद्या का वरदान मिलता है।
जान लें पूजा विधि: सर्वप्रथम नित्यकर्मों से निवृत होकर नहा लें और पीला अथवा सफेद कपड़े पहनें। पूजा स्थल पर मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर लगाएं। सबसे पहले विधिपूर्वक कलश स्थापना करें। फिर नवग्रहों की पूजा करने के बाद देवी सरस्वती की अराधना करें। फिर देवी का विधिवत आचमन करें और उन्हें स्नान कराएं। इसके उपरांत उनका श्रृंगार करें।
मां सरस्वती जी की आरती:
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय…..
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय…..
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…..
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय…..
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..