आज बसंत पंचमी का पर्व मनायाजा रहा है। इस दिन को सरस्वती जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि आज के दिन बुद्धि, कला और संगीत की देवी प्रकट हुई थी। इसी के कारण आज उनकी विधिवत पूजा करने का विधघान है। बता दें कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन कई लोग घर, ऑफिस आदि जगहों पर मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने के साथ हवन आदि करते हैं। इस दिन उपनयन संस्कार करने का भी विधान है। बता दें कि मां सरस्वती की पूजा आरती के बिना अधूरी है। ऐसे में जानें बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की कौन-कौन सी आरती करें।

Maa Saraswati Ji Ki Aarti: यहां पढ़े सरस्वती जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

मां सरस्वती की पहली आरती

जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥

माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥

दूसरी सरस्वती आरती

ओइम् जय वीणे वाली,
मैया जय वीणे वाली
ऋद्धि-सिद्धि की रहती,
हाथ तेरे ताली
ऋषि मुनियों की बुद्धि को,
शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भाँति शुद्ध,
तू ही माँ करती॥ 1 ॥

ज्ञान पिता को देती,
गगन शब्द से तू
विश्व को उत्पन्न करती,
आदि शक्ति से तू॥ 2 ॥

हंस-वाहिनी दीज,
भिक्षा दर्शन की
मेरे मन में केवल,
इच्छा तेरे दर्शन की॥ 3 ॥

ज्योति जगा कर नित्य,
यह आरती जो गावे
भवसागर के दुख में,
गोता न कभी खावे॥ 4 ॥