नीलम रत्न का संबंध शनि ग्रह से होता है। ज्योतिष अनुसार जब किसी की कुंडली में कोई ग्रह प्रतिकूल प्रभाव डालता है तो उस व्यक्ति को उस ग्रह से संबंधित रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। शनिदेव का मनपंसद रत्न नीलम माना गया है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को ये रत्न सूट कर जाये उसे जीवन में तमाम सुख सुविधाएं प्राप्त होने लगती हैं। लेकिन अगर इसका बुरा प्रभाव पड़ने लगे तो यह व्यक्ति को राजा से रंक तक बना सकता है। इसलिए इस रत्न को धारण करने से पहले कुछ बातों की जानकारी जरूर होनी चाहिए…
इसका प्रभाव: नीलम रत्न का प्रभाव बहुत तेजी से दिखाई देता है। अगर ये आपको सूट नहीं कर रहा है तो इससे आपको आंखों में तकलीफ महसूस होने लगेगी। अगर ये आपके लिए शुभ नहीं है तो इसे पहनने पर तुरंत आर्थिक नुकसान होने लगेंगे। नीलम अगर आपके लिए शुभ है तो नौकरी और व्यवसाय में तुरंत उन्नति मिलने लगेगी। यानी नीलम अगर आपके लिए शुभ है तो किसी भी तरह की अशुभ घटना नहीं होगी।
कब पहनना चाहिए: जब कुंडली में शनि की महादशा विपरीत हो तो इस स्थिति में नीलम पहनना शुभ माना गया है। जिन जातकों का जन्म वृष लग्न या फिर तुला लग्न में होता है उनके लिए नीलम राजयोग का कारक होता है। नीलम रत्न पहनने से पहले ज्योतिषी सलाह भी जरूर ले लेनी चाहिए।
असली नीलम की पहचान: नीलम की कीमत अधिक होती है। ये अलग अलग किस्म के आते हैं। जानकारों के अनुसार अगर अच्छी क्वालिटी के नीलम को दूध में डाल दें तो यह दूध का रंग बदलकर नीला कर देता है। नीलम रत्न की एक और पहचान यह है कि यह देखने में चमकीला और काफी चिकना होता है। पानी से भरे गिलास में यदि नीलम रख दिया जाये तो पानी के ऊपर इसकी नीली किरण दिखाई देने लगती है। मोर के पंख के समान इसका रंग नीला होता है। यह रत्न पारदर्शी होता है। नीलम को लेने से पहले इसके वजन की जांच भी जरूर कर लें। यह एक भारी रत्न है।
ऐसे करें धारण: नीलम रत्न को घर पर लाने के बाद उसे गंगाजल से भरे किसी पात्र में रख देना चाहिए और शनिवार के दिन इसे धारण कर इसके प्रभाव के बारे में ध्यान से देखना चाहिए। इस रत्न को शनिवार के दिन दाएं हाथ की बीच वाली उंगली में धारण करना चाहिए। रत्न को धारण करने से पहले ज्योतिषीय सलाह जरूर ले लें।

