Sankashti Chaturthi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी की तरह साल में कुल 24 गणेश चतुर्थी पड़ती है। इसके आधार पर हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक चतुर्थी पड़ती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। ऐसे ही फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने का विधान है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है और निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है। इस बार संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जानें संकष्टी गणेश चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और गणेश आरती…

संकष्टी गणेश चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 28 फरवरी को सुबह 1 बजकर 53 मिनट से शुरू हो रही है, जो 29 फरवरी को सुबह 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो रही है।

संकष्टी गणेश चतुर्थी 2024 शुभ योग

हिंदू पंचांग के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी पर वृद्धि योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। ये योग सुबह 6 बजकर 53 मिनट पर शुरू हो रहा है।

संकष्टी के दिन चंद्रोदय का समय

रात 09 बजकर 25 मिनट पर

संकष्टी गणेश चतुर्थी 2024 पूजा विधि

गणेश चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके गणेश जी का मनन करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। इसके बाद गणेश जी की पूजा करके दिनभर व्रत रखें। शाम को प्रदोष काल में एक साफ स्थान या पूजा घर में एक लकड़ी में पीला रंग का वस्त्र बिछाकर श्री गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद उन्हें जल चढ़ाएं। जल चढ़ाने के बाद 11 जोड़ी दूर्वा, फूल, माला, सिंदूर, गीला अक्षत, कुमकुम, जनेऊ, पान, नारियल आदि चढ़ा दें। इसके बाद भोग में मोदक, मौसमी फल, बूंदी आदि चढ़ाएं और जल अर्पित करेँ। जल चढ़ाने के बाद घी का दीपक और धूप जलाकर श्री गणेश मंत्र, गणेश चतुर्थी व्रत कथा, गणेश चालीसा का पाठ करके अंत में आरती कर लें और भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके बाद चंद्र दर्शन करें और अर्घ्य दें और व्रत का पारण कर लें।

संकष्टी चतुर्थी पर करें इन गणेश मंत्रों का जाप

ऊँ गं गणपतेय नम:
ऊँ गणाधिपाय नमः
ऊँ उमापुत्राय नमः
ऊँ विघ्ननाशनाय नमः
ऊँ विनायकाय नमः
ऊँ ईशपुत्राय नमः
ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ऊँ एकदन्ताय नमः
ऊँ इभवक्त्राय नमः
ऊँ मूषकवाहनाय नमः
ऊँ कुमारगुरवे नमः

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Aarti)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥