संकष्टी चतुर्थी व्रत इस बार 7 अगस्त, शुक्रवार को रखा जाएगा। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी व्रत का नाम हेरम्ब संकष्टी भी है। इस दिन भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। भगवान विनायक के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। संकष्टी व्रत कृष्ण पक्ष में किया जाने वाला व्रत है। यह व्रत मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्रती के जीवन और परिवार में शुभता का वास होता है। संकट हरने वाले भगवान गणेश से संकटों को हरने की प्रार्थना करने के लिए ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह व्रत मंगल कार्यों का दायक है। इस व्रत के प्रभाव से घर में मांगलिक कार्यों का आगमन होता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि (Sankashti Chaturthi Vrat Vidhi): संकष्टी चतुर्थी वाले दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। जिस स्थान पर पूजा करनी है, उसे गंगाजल से पवित्र करें। उस स्थान पर एक चौकी रखें और उसे पीले रंग का वस्त्र से ढक कर कलावा बांध दें।
चौकी पर स्वास्तिक बनाएं। फिर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर रखें।
भगवान गणेश के विग्रह को माला चढ़ाएं और तिलक लगाएं।
इसके बाद दीपक जलाएं। साथ ही हाथ में साबूत चावल और फूल लेकर व्रत का संकल्प करें। भगवान गणेश के समक्ष संकल्पित फूल और चावल चढ़ा दें। फिर गणेश चालीसा, गणेश स्तुति और मंत्रों से उनका स्मरण करें।
बाद में भगवान गणेश की आरती कर, उन्हें दूर्वा चढ़ाएं। साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग भी लगाएं।

गणेश भगवान की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।