Vibhuvana Sankashti Chaturthi Vrat Katha : संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरे साल किया जाता है। अधिक मास में आने वाले संकष्टी चतुर्थी व्रत को विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) कहा जाता है। मान्यता है कि अधिक मास में व्रत रखने का फल भी अधिक मिलता है।
इस बार संकष्टी चतुर्थी व्रत 5 अक्तूबर, सोमवार के दिन रखा जाएगा। भगवान गणेश (Lord Ganesh) की कृपा प्राप्त करने के लिए यह व्रत किया जाता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर सच्चे मन से भगवान गणेश की आराधना करता है उसे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत पूर्ण रूप से भगवान गणेश को समर्पित हैं।
विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Vibhuvana Sankashti Chaturthi Vrat Katha/ Sankashti Chaturthi Vrat Katha)
नारद पुराण में इस कथा का वर्णन किया गया है। इस पुराण में यह बताया गया है कि किस विधि से संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाना चाहिए और इस व्रत के दौरान किस कथा को पढ़ना या सुनना चाहिए। विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा कुछ इस प्रकार है कि प्राचीन काल में जब पांडव द्रौपदी के साथ जंगलों में रहने को मजबूर थे।
उस समय उन्होंने महर्षि वेदव्यास से यह प्रश्न किया कि प्रभु हमारे दुखों का अंत कैसे होगा? इतने अधिक समय से हम पांचों पांडव और हमारी अर्धांगिनी द्रौपदी दुख भोगते आ रहे हैं। अब इन कष्टों भरे जीवन से हमें उबारने के लिए कोई रास्ता बताएं।
इस पर महर्षि वेदव्यास ने यह उत्तर दिया कि अधिक मास में आने वाले विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत को परम पावन माना जाता है। कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। यह व्रत विभुवन पालक भगवान गणेश को समर्पित हैं।
जो व्यक्ति इस दिन भगवान गणेश की आराधना करता है उसके सभी दुख दूर होते हैं। इसलिए आप सभी यह व्रत कीजिए। वेदव्यास जी के कहने पर पांडवों ने द्रौपदी समेत यह व्रत किया और उन्हें सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति मिली।
भगवान गणेश की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी। मस्तक सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा। मोदक का भोग लगे संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
दीनन की लाज राखो, शंभू पुत्रवारी। मनोरथ को पूरा करो, जाऊं बलिहारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।

