Sankashti Chaturthi 2025 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष में कुल 24 गणेश चतुर्थी आती हैं, जो हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ती है। पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी व्रत रखा जाता है। अखुरथ संकष्टी के दिन भगवान गणेश के अखुरथ स्वरूप की विधिवत पूजा करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, अखुरथ दो शब्दों से मिलकर बना है, जो अखु और रथ है। इसका मतलब है अखु यानी मूषक तथा रथ का अर्थ है रथ। इसका संपूर्ण अर्थ है मूषक के रथ वाले भगवान गणेश।अखुरथ चतुर्थी में भगवान गणेश के इस स्वरूप की विधिवत पूजा करने का विधान है। इस साल चतुर्थी तिथि दो दिन होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं अखुरथ संकष्टी व्रत की सही तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र से लेकर गणेश आरती तक…
कब है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी? (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2025 Date)
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 7 दिसंबर 2025 को शाम 6 बजकर 24 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 8 दिसंबर 2025 को शाम 4 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। संकष्टी चतुर्थी के व्रत का समापन चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। इसलिए इस बार अखुरथ संकष्टी का व्रत 7 दिसंबर को रखा जाएगा।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2025 Moon Rise Time)
7 दिसंबर को यानी संकष्टी के दिन चन्द्रोदय शाम 07 बजकर 55 मिनट पर होगा।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर शुभ मुहूर्त (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, इस दिन पूजा सुबह के समय 8 बजकर 19 मिनट से दोपहर 1 बजकर 31 मिनट पर कर सकते हैं। इसके साथ ही शाम को 5 बजकर 24 मिनट से रात 10 बजकर 31 मिनट तक करना लाभकारी होगा।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2025 Puja Vidhi)
गणेश चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। गणेश जी की पूजा करके पूरे दिन उपवास रखें। शाम के समय प्रदोष काल में पूजा स्थान या किसी साफ जगह पर एक लकड़ी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर श्री गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। फिर उन्हें जल अर्पित करें। जल चढ़ाने के बाद 11 जोड़ी दूर्वा, फूल, माला, सिंदूर, गीला अक्षत, कुमकुम, जनेऊ, पान, नारियल आदि समर्पित करें। भोग स्वरूप मोदक, मौसमी फल, बूंदी आदि चढ़ाएं और पुनः जल अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर श्री गणेश मंत्र, गणेश चतुर्थी व्रत कथा और गणेश चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती उतारें और किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें। पूजा के बाद चंद्र दर्शन कर अर्घ्य अर्पित करें और व्रत का पारण करें।
संकष्टी चतुर्थी पर करें इन गणेश मंत्रों का जाप
ऊँ गं गणपतेय नम:
ऊँ गणाधिपाय नमः
ऊँ उमापुत्राय नमः
ऊँ विघ्ननाशनाय नमः
ऊँ विनायकाय नमः
ऊँ ईशपुत्राय नमः
ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ऊँ एकदन्ताय नमः
ऊँ इभवक्त्राय नमः
ऊँ मूषकवाहनाय नमः
ऊँ कुमारगुरवे नमः
गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Aarti)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
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