Unlucky Moles on Body in Hindi: सामुद्रिक शास्त्र एक ऐसा शास्त्र है जहां व्यक्ति की शारीरिक बनावट और शरीर पर मौजूद निशानों से पता लगाया जा सकता है कि उसके भाग्य में राजयोग है या नहीं। यूं तो शरीर पर अलग-अलग जगहों पर निशान, तिल आदि मौजूद होते हैं जिससे पता लगाया जा सकता है कि जातक का भविष्‍य कैसा है। हालांकि शरीर के कुछ अंगों के पर तिल होना अशुभ भी माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कौन से अंगों पर तिल होना शुभ संकेत देता है।

शरीर के इन 6 अंगों पर तिल होना माना जाता है अशुभ

कनिष्ठा उंगली पर तिल

अगर किसी व्यक्ति की सबसे छोटी उंगली पर तिल है तो इसका अर्थ है कि उसे धन की प्राप्ति तो होगी, लेकिन उसके जीवन में दुखों का अंधेरा भी छाया रहेगा। ऐसे लोग अक्सर संघर्ष का सामना करते हैं और उन्हें कई तरह की समस्याओं से भी गुजरना पड़ सकता है।

बाई बांह पर तिल

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, यदि बाई बांह पर तिल है तो इसका मतलब होता है कि व्यक्ति बहुत ही जल्दी क्रोधित हो जाता है। ऐसे लोगों को आसानी से गुस्सा आता है और दूसरों को जज करने में भी संकोच नहीं करते। उनका गुस्सा अक्सर उनके पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को प्रभावित कर सकता है।

होंठ पर तिल होना

होंठ पर तिल होने का मतलब है कि व्यक्ति को आर्थिक मामलों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति अस्थिर रहती है और वह मानसिक तनाव से भी गुजरते हैं।

कान पर तिल

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, कान पर तिल होना अशुभ माना जाता है। यह अल्पायु होने का संकेत देता है यानी कि छोटा जीवन काल। ऐसे लोग अक्सर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझते रहते हैं।

आंख पर तिल

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, अगर किसी की बाईं आंख पर तिल है तो यह उनके वैवाहिक जीवन में समस्याएं लाने का संकेत हो सकता है। ऐसे लोगों के वैवाहिक जीवन में अनबन बनी रहती है।

रिंग फिंगर पर तिल

रिंग फिंगर पर तिल होना भी शुभ नहीं माना जाता है। इससे व्यक्ति को नेत्र संबंधी रोगों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, ऐसे लोग अक्सर झूठे आरोपों का सामना कर सकते हैं। उनके मान-सम्मान पर भी खतरा मंडराता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।