Samudrik Shastra Predictions: सामुद्रिक शास्त्र में शरीर के अंगों और उनकी बनावट का अध्ययन किया जाता है। यह शास्त्र पूरी तरह से शरीर के अंगों के आकार पर आधारित है। इस शास्त्र की रचना ऋषि समुद्र ने की थी। इसलिए इस शास्त्र को समुद्र शास्त्र भी कहा जाता है।

बताया जाता है कि शरीर के अंग और उन पर बने निशानों के माध्यम से व्यक्ति के स्वभाव और व्यवहार को जाना जा सकता है। समुद्र शास्त्र के कई जानकार कहते हैं कि शरीर के तिलों से किसी व्यक्ति के भविष्य के बारे में भी जाना जा सकता है। माना जाता है कि कान का तिल बहुत खास होता है।

दाहिनें कान पर तिल होना – समुद्र शास्त्र के विद्वानों का मानना है कि दाहिनें कान पर तिल सौभाग्यवान होने की निशानी है। इस तिल से व्यक्ति में समझदारी, सहनशीलता और भावनात्मकता बढ़ती है। बताया जाता है कि ऐसे लोग बहुत गुस्सैल होते हैं। इन्हें छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत रोना आता है। कहते हैं कि दाहिनें कान पर तिल होने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है। ऐसे लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि वो इस तिल को छुपाकर ही रखें।

बाएं कान पर तिल का मतलब – सामुद्रिक शास्त्र में बाएं कान पर तिल वालों को चतुर माना जाता है। कहते हैं कि ऐसे लोग बहुत समझदार होते हैं। बताया जाता है कि ऐसे लोगों में आत्मसम्मान का भाव बहुत अधिक होता है। इन्हें किसी से कोई वस्तु, उपहार और धन आदि लेना पसंद नहीं होता है। इनकी कोशिश रहती है कि यह किसी को कुछ दे दें लेकिन किसी से कुछ ना लें। ऐसे लोग बहुत खुशमिजाज होते हैं।

कान के निचले हिस्से पर तिल का मतलब – बताया जाता है जिन लोगों के कान के निचले हिस्से पर तिल होता है। वो लोग बहुत खर्चीले होते हैं। उन्हें खरीदारी करने का बहुत शौक होता है। ऐसे लोगों की कोशिश होती है कि जो आज है, उसे एन्जॉय किया जाए और कल के लिए क्या करना है यह कल ही देखा जाए।

कान के ऊपरी हिस्से पर तिल होना – कान के ऊपरी हिस्से पर तिल होने से व्यक्ति में कलात्मकता बढ़ती है। कहते हैं कि ऐसे लोग बहुत संवेदनशील होते हैं। इन्हें किसी से डर नहीं लगता है। ऐसे लोग मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत मजबूत होते हैं।