कृष्ण पक्ष चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है। माघ के महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्थी सकट चौथ के रूप में मनाया जाता है और यह उत्तर भारतीय राज्यों में मुख्य रूप से देखा जाता है। सकट चौथ देवी सकत को समर्पित है। महिलाओं इस दिन अपने पुत्रों की भलाई के लिए उपवास करती हैं। राजस्थान में सकट गांव है और इसमें देवी सकट का मंदिर है। वहां कृष्ण पक्ष की चौथ के दिन उत्सव मनाया जाता है। देवी सकट, चौथ माता के रूप में प्रसिद्ध है। सकट चौथ में भगवान गणेश की भी पूजा होती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से खुशी और समृद्धि में वृद्धि होती है। सकट चौथ को संकट चौथ, तिल-कुटा चौथ, वाकड़ा-तुंडी चतुर्थ के रूप में भी जाना जाता है।
सकट चौथ: 5 जनवरी 2018 (शुक्रवार)
सकट चौथ पूजा समय:
सकट चौथ दिवस पर चंद्रमा उदय समय- 21:22 बजे
चतुर्थी तिथी शुरू-  4 जनवरी 2018 को 21:31 से
चतुर्थी तिथी समाप्ति- 5 जनवरी 2018 को 19:00 बजे
सकट चौथ व्रत कथा:
किसी नगर में एक कुम्हार रहता था । एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवा लगाया तो आंवा पक ही नहीं पा रहा था। हारकर वह राजा के पास जाकर प्रार्थना करने लगा। राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा तो राजपंडित ने कहा की हर बार आंवा लगाते समय बच्चे की बलि देने से आंवा पक जाएगा। राजा का आदेश हुआ और बलि आरम्भ हुई। जिस परिवार की बारी होती वह परिवार अपने बच्चो में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता। इसी तरह कुछ दिनों बाद सकट के दिन एक बुढ़िया के लड़के की बारी आयी । बुढ़िया के लिए वही जीवन का सहारा था परन्तु राजा आज्ञा कुछ नहीं देखती। दुखी बुढ़िया सोच रही थी की मेरा तो एक ही बेटा है ,वह भी सकट के दिन मुझसे जुदा हो जाएगा । बुढ़िया ने लड़के को सकट की सुपारी और दूब का बीड़ा देकर कहा “भगवान का नाम लेकर आंवा में बैठ जाना । सकट माता रक्षा करेंगी।” बालक आंवा में बिठा दिया गया और बुढ़िया सकत माता के सामने बैठकर पूजा करने लगी। पहले तो आंवा पकने में कई दिन लग जाते थे पर इस बार सकत माता की कृपा से एक ही रात में आंवा पाक गया था। सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया। आंवा पाक गया था। बुढ़िया का बेटा एवं अन्य बालक भी जीवित एंव सुरक्षित थे। नगर वासियों ने सकत की महिमा स्वीकार की तथा लड़के को भी धन्य माना। सकत माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे।
