Saints Samadhi: हमारे सनातन धर्म में साधु-संन्यासियों को बहुत सम्मान दिया जाता है। ये लोग भगवान की पूजा-अर्चना और समाज की भलाई के लिए हमेशा लगे रहते हैं। इनका जीवन बहुत ही पवित्र और शुद्ध होता है, लेकिन इनके जीवन के कुछ कार्य हमारे आम जीवन से अलग होती हैं। जैसे हिंदू धर्म में जब कोई इंसान मरता है, तो उसका दाह संस्कार किया जाता है, लेकिन साधु-संन्यासियों को दाह संस्कार की बजाय समाधि दी जाती है। अब सवाल ये है कि ऐसा क्यों होता है? तो आइए इस बारे में आज हम आपको विस्तार से बताते हैं।

शरीर का आध्यात्मिक महत्व

साधु-संन्यासी अपने शरीर को एक साधन मानते हैं, जिसके जरिए वे तपस्या और साधना करते हैं। उनके लिए शरीर केवल आत्मा का एक वाहन है। जब उनका शरीर समाधि में जाता है, तो इसे जमीन में दफन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनका शरीर पूरी तरह से प्रकृति में समा जाता है।

अग्नि संस्कार की जरूरत नहीं

साधु-संन्यासी अपना जीवन सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर जीते हैं। ये लोग जन्म और मृत्यु के चक्कर से बाहर होते हैं क्योंकि वे पहले ही मोक्ष के रास्ते पर चल रहे होते हैं। इसलिए, उन्हें दाह संस्कार की जरूरत नहीं होती, जैसे आम इंसान के साथ किया जाता है।

धार्मिक और आध्यात्मिक नजरिया

साधु-संन्यासियों को समाधि देना उनके तप और ज्ञान का सम्मान होता है। ये लोग जिस जगह पर रहते हैं या उनका आश्रम होता है, वहीं उनके शरीर को समाधि दी जाती है। ऐसा करने से उनकी ऊर्जा उस जगह पर स्थायी रूप से बनी रहती है, जो लोगों के लिए बहुत लाभकारी होती है।

समाधि क्यों दी जाती है?

हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि जो इंसान सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर संन्यास लेता है, वह अब इन दुनिया की चीजों से ऊपर हो जाता है। इसलिए, उनका दाह संस्कार करने की बजाय समाधि दी जाती है। यह शास्त्रों के हिसाब से सही होता है और उनके सम्मान का प्रतीक है।

समाधि देने की प्रक्रिया

जब कोई साधु-संन्यासी मृत्यु को प्राप्त करता है, तो सबसे पहले उनकी समाधि के लिए एक गढ़ा खोदा जाता है। फिर उस जगह को पवित्र किया जाता है और साधु को ध्यान मुद्रा में बैठाया जाता है। कई बार वहां मंदिर या स्मारक भी बनवाए जाते हैं ताकि लोग वहां आकर ध्यान कर सकें।

समाधि का महत्व

समाधि स्थल एक खास जगह बन जाती है, जो लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत होती है। यहां पर ध्यान और साधना के लिए बहुत पॉजिटिव ऊर्जा होती है, जिससे लोगों को शांति और आत्मिक विकास मिल सकता है। इस तरह, साधु-संन्यासियों को समाधि देना उनका सम्मान करने का तरीका है और यह उनके जीवन के शुद्ध उद्देश्य को सम्मानित करने का एक तरीका है।

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