Safala Ekadashi 2022: सभी एकादशी व्रतों में सफला एकादशी व्रत का महत्व अधिक बताया गया है। इस माह में 19 तारीख को सफला एकादशी का व्रत पड़ रहा है। वर्षों के बाद इस बार सफला एकादशी का व्रत पर कई शुभ योग में रखा जाएगा। ऐसे में इस बार सफला एकादशी पर व्रत रखने और पूजा-पाठ का फल कई गुना अधिक हो गया है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के राशि परिवर्तन से सफला एकादशी पर बुधादित्य योग, लक्ष्मी नारायण योग और त्रिग्रही बन रहा है। ऐसे में सफला एकादशी का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
सफला एकादशी 2022 महत्व (Safala Ekadashi 2022 Importance)
सफला एकादशी के दिन भगवान अच्युत की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। वहीं संकटों से मुक्ति मिलने और सुख-समृद्धि भी आने की मान्यता है।
5 दिसंबर से बना है लक्ष्मी नारायण योग (Lakshmi Narayan Yoga)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 5 दिसंबर को शुक्र देव ने धनु राशि में प्रवेश किया है। वहीं इस राशि में 3 दिसंबर से ही बुध देव विराजमान हैं। ऐसे में धनु राशि में बुध और शुक्र के मिलने से लक्ष्मी नारायण योग बना रहा है।
16 दिसंबर को बनेगा बुधादित्य योग (Budhaditya Yoga)
बुध देव 3 दिसंबर से ही धनु राशि में हैं और सूर्य देव 16 दिसंबर से धनु राशि में जाएंगे। बुध और सूर्य का एक ही राशि में होने से धनु राशि में बुधादित्य योग बन रहा है, जो बहुत ही शुभ माना जाता है।
धनु राशि में बनेगा त्रिग्रही योग (Trigrahi Yoga)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 16 दिसंबर को धनु राशि में बुध, शुक्र और सूर्य देव के मिलने से त्रिग्रही योग बन रहा है। ऐसे में 19 तारीख को पड़ रही सफल एकादशी का महत्व इन योग के बनने के अधिक हो गया है।
सफला एकादशी के दिन पूजा, व्रत और दान का अधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। व्रत के अगले दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने के पुण्यफल की प्राप्ति होती है।