Rudraksha in Sawan 2025: सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। यह महीना भक्ति, तप और आराधना का ऐसा समय होता है जब भोलेनाथ थोड़े से प्रयास से भी अपने भक्तों पर कृपा बरसा देते हैं। इसी कारण शिवभक्त इस पावन माह में व्रत, पूजन और विशेष उपाय करते हैं। इन्हीं उपायों में एक अत्यंत प्रभावशाली उपाय रुद्राक्ष धारण करना है। रुद्राक्ष कोई साधारण माला नहीं, बल्कि भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सावन के शुभ अवसर पर रुद्राक्ष धारण करने से शिव कृपा शीघ्र प्राप्त होती है, लेकिन इसे धारण करने के भी कुछ विशेष नियम होते हैं। यदि इन नियमों की अनदेखी की जाए या गलत विधि से रुद्राक्ष पहना जाए, तो इसके विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि सावन में रुद्राक्ष पहनने से पहले इसके शुभ दिन, सही विधि और नियमों को जान लिया जाए। ऐसे में आइए जानते हैं सावन में रुद्राक्ष पहनने के सही नियम क्या है…
सावन में रुद्राक्ष कब धारण करें?
सावन के पावन महीने में रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है, लेकिन इसे धारण करने के लिए सही दिन और मुहूर्त का चयन करना बेहद जरूरी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन की शिवरात्रि रुद्राक्ष पहनने के लिए सबसे उत्तम दिन होता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना के साथ रुद्राक्ष धारण करने से अद्भुत फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा सावन के सोमवार भी रुद्राक्ष धारण करने के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। क्योंकि सोमवार भगवान शिव को समर्पित दिन होता है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन रुद्राक्ष धारण करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
रुद्राक्ष धारण करने का उत्तम समय
रुद्राक्ष धारण करने के लिए सुबह का समय सबसे शुभ माना जाता है। इस समय किए गए धार्मिक कार्य विशेष फलदायी होते हैं। जब मन शांत और वातावरण सकारात्मक होता है, तब रुद्राक्ष की दिव्य ऊर्जा को शरीर और मन आसानी से ग्रहण कर सकते हैं। इसलिए रुद्राक्ष धारण करते समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें, भगवान शिव का स्मरण करें और मंत्रों के साथ श्रद्धा भाव से इसे धारण करें।
रुद्राक्ष धारण करने से पहले जरूर करें ये काम
रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी शुद्धि और पूजन करना बेहद आवश्यक होता है, ताकि वह पूरी तरह से सकारात्मक ऊर्जा से भर सके। इसके लिए सबसे पहले रुद्राक्ष को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध जल) और गंगाजल से अच्छी तरह धोएं। इसके बाद साफ सूती कपड़े से उसे पोंछकर सुखा लें। अब रुद्राक्ष पर कुमकुम या चंदन का तिलक लगाएं और उसे धूप या अगरबत्ती दिखाएं। इसके बाद शांत चित्त से बैठकर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें और भगवान शिव से आशीर्वाद लेकर रुद्राक्ष को धारण करें।
सावन में रुद्राक्ष धारण करने के नियम
सावन का महीना रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे शुभ माना गया है। मान्यताओं के अनुसार सावन के सोमवार या सावन की शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष पहनने से विशेष फल मिलता है। रुद्राक्ष धारण से पहले उसे लाल कपड़े पर रखें, फिर पूजा स्थान या शिवलिंग के समीप स्थापित करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। फिर उसे गंगाजल से धोकर पंचामृत में डुबोएं और कुछ समय तक वहीं रहने दें। यदि आप किसी विशेष कामना के लिए रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं, तो गंगाजल हाथ में लेकर संकल्प करें और मंत्रोच्चारण के साथ जल को नीचे छोड़ दें। फिर रुद्राक्ष को गंगाजल से पुनः धोकर श्रद्धा के साथ धारण करें।
रुद्राक्ष धारण करते समय सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। रुद्राक्ष को लाल धागे में ही पहनना चाहिए। इस बात का खास ध्यान रखें कि कभी भी अशुद्ध हाथों से रुद्राक्ष न छुएं, इसे अत्यंत पवित्र माना गया है।
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