Sawan 2025 Rudrabhishek: इस साल श्रावण मास का शुभारंभ 11 जुलाई से हो चुका है। यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो भी भक्त इस माह में सच्चे मन से व्रत, पूजन और रुद्राभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी कर देते हैं। आपको बता दें कि सावन में सोमवार के व्रत और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। इस दौरान रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु, भय, रोग और दोषों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, इससे जीवन में सुख, समृद्धि, संतान सुख, शीघ्र विवाह, धन लाभ और मानसिक शांति प्राप्त होती है। हालांकि, रुद्राभिषेक जितना लाभकारी होता है, उतना ही जरूरी होता है इसे सही मुहूर्त में करना। यदि गलत समय में रुद्राभिषेक कर दिया जाए, तो यह पुण्य की जगह अशुभ फल भी दे सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि सावन में रुद्राभिषेक कब नहीं करना चाहिए।
रुद्राभिषेक कब करना चाहिए?
सावन में रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है, विशेषकर जब यह शिव योग की तिथि पर किया जाए। सोमवार के दिन रुद्राभिषेक के लिए सर्वश्रेष्ठ समय ब्रह्म मुहूर्त, प्रदोष काल या अमृत काल माना गया है। ब्रह्म मुहूर्त का समय प्रातः 4:00 बजे से 5:30 बजे तक होता है, जबकि प्रदोष काल दिन के दूसरे प्रहर में सूर्यास्त से पहले का समय होता है। वहीं, अमृत काल का शुभ समय सुबह 7:30 से 9:00 बजे तक होता है। इन मुहूर्तों में रुद्राभिषेक करने से विशेष पुण्य और शिव कृपा प्राप्त होती है।
रुद्राभिषेक कब नहीं करना चाहिए?
ज्योतिष के अनुसार, कभी भी रुद्राभिषेक राहुकाल के दौरान नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह समय अशुभ माना जाता है। साथ ही, दोपहर के समय भी रुद्राभिषेक करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह समय पूजा-पाठ के लिए उपयुक्त नहीं होता।
रुद्राभिषेक के लिए शुभ तिथियां
- 14 जुलाई 2025 चतुर्थी तिथि
- 15 जुलाई 2025 पंचमी तिथि
- 18 जुलाई 2025 अष्टमी तिथि
- 21 जुलाई 2025 एकादशी तिथि
- 22 जुलाई 2025 द्वादशी तिथि
- 23 जुलाई 2025 चतुर्दशी तिथि
- 24 जुलाई 2025 अमावस्या तिथि
- 26 जुलाई 2025 द्वितीया तिथि
- 29 जुलाई 2025 पंचमी तिथि
- 30 जुलाई 2025 षष्ठी तिथि
- 6 अगस्त 2025 द्वादशी तिथि
- 7 अगस्त 2025 त्रयोदशी तिथि
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