हिंदू धर्म में लगभग प्रत्येक कार्य करने की एक सही दशा बताई गई है। ऐसा कहते हैं कि इसका पालन करके उस कार्य से पूरा लाभ उठाया जा सकता है। दूसरी तरफ, इसका पालन ना करने पर व्यक्ति अलग-अलग परेशानियों से घिर सकता है। बता दें कि भोजन करने को लेकर शास्त्रों में कई सारे महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं। इनमें भोजन करने की सही दशा और दिशा बताई गई है। इनका पालन करके हम भोजन का पूरा आनंद उठा सकते हैं और उससे हमारी शरीर को पूर्ण रूप से पोषण भी मिलेगा। शास्त्रों के मुताबिक, भोजन करने की सबसे अनिवार्य शर्त यह है कि वह जगह बहुत ही साफ-सुथरी होनी चाहिए। भोजन करने वाली जगह पर किसी भी तरह की गंदगी नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार से घर की सबसे सुंदर जगह पर भोजन करना चाहिए।

शास्त्रों की मानें तो भोजन ऐसी जगह पर करना चाहिए, जहां पर शांति हो। आचार्य बालकृष्ण ने भी यही बात कही है कि भोजन एकांत में किया जाना चाहिए। एकांत से तात्पर्य ऐसी जगह से है जहां पर शोर-शराबा ना होता हो। भोजन सामूहिक रूप से भी किया जा सकता है। लेकिन शर्त यही है कि उस दौरान बातचीत ना चल रही हो। इसके अलावा भोजन किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। इससे आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।

शास्त्रों में जमीन पर पालथी मारकर बैठकर भोजन को सही विधि माना गया है। इससे व्यक्ति को भरपेट भोजन करने में आसानी होती है। व्यक्ति का मस्तिष्क दूसरी जगहों पर नहीं भटकता है। मालूम हो कि भोजन के समय खुद को मानसिक रूप से शांत रखना चाहिए। इसके अलावा भोजन बहुत ही चबाचबाकर करना चाहिए। इससे भोजन के बचने में काफी आसानी रहती है जिससे व्यक्ति को पेट संबंधी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।