हिंदू मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती को विद्या की देवी के रुप में जाना जाता है। इन्हें शतरुपा के साथ अनेकों नामों से जाना जाता है। माना जाता है कि इनकी अराधना करने से मूर्ख को भी बुद्धि प्राप्त हो सकती है। सरस्वती पुराण और मत्सय पुराण के अनुसार इन्हें ब्रह्मा जी की पत्नी माना जाता है। माना जाता है कि ब्रह्मा जी इस सृष्टि में अकेले थे। ऐसे में उन्होनें अपने मुख से सरस्वती, सान्ध्य, ब्राह्मी को उत्पन्न किया। सरस्वती के प्रति आकर्षित होने के कारण वो हमेशा उन पर दृष्टि डाले रखते थे। ब्रह्मा से बचने के लिए देवी सरस्वती चारो दिशाओं में छिपती रहीं लेकिन ज्यादा समय तक बच नहीं पाईं।

ब्रह्मा जी के पांचवे सिर ने उन्हें ढूंढ निकाला था। इसके बाद उन्होनें सरस्वती जी से सृष्टि के विकास में योगदान करने के लिए कहा। सरस्वती से विवाह के बाद उनके पुत्र स्वयंभु मनु को जन्म दिया और ब्रह्मा जी और माता सरस्वती की संतान को पृथ्वी पर जन्म लेने वाली पहली संतान माना गया है। देवी सरस्वती को संगीत, कला, साहित्य, मधुर वाणी की देवी माना जाता है। वीणा संगीत की, पुस्तक विचारणा की और मयूर वाहव कला की अभिव्यक्ति है। माना जाता है कि हर दिन मां शारदा के मंत्र जपने से सुख, संपत्ति, बुद्धि और प्रतिभा का आशीष मिलता है। इसी के साथ ज्योतिष विद्या के अनुसार माना जाता है कि हर दिन अपनी राशि के अनुसार माता सरस्वती के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

मेष- ऊं वाग्देवी वागीश्वरी नमः
वृषभ- ऊं कौमुदी ज्ञानदायनी नमः
मिथुन- ऊं मां भुवनेश्वरी सरस्वत्यै नमः
कर्क- ऊं मां चंद्रिका दैव्यै नमः

सिंह- ऊं मां कमलहास विकासिनी
कन्या- ऊं मां प्रणवनाद विकासिनी नमः
तुला- ऊं मां हंससुवाहिनी नमः
वृश्चिक- ऊं शारदै दैव्यै चंद्रकांति नमः
धनु- ऊं जगती वीणावादिनी नमः
मकर- ऊं बुद्धिदात्री सुधामूर्ति नमः
कुंभ- ऊं ज्ञानप्रकाशिनि ब्रह्मचारिणी नमः
मीन- ऊं वरदायिनी मां भारती नमः