भोजन हमारे शरीर की मूलभूत आवशकता है। भोजन से हमारे शरीर को ऊर्जा, स्फूर्ति और शक्ति मिलती है। जिससे हम अपनी दिनचर्या के सभी कार्य सुचारु रूप से कर पाते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में लिखा है कि हमें स्नान करके भोजन करना चाहिए। परंतु आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इसकी क्या महत्ता है या आज के वैज्ञानिक युग में हम ऐसा मान सकते हैं कि भोजन करने के लिए नहाना पहले जरूरी है? क्या नहाकर ही हमें भोजन करना चाहिए या कभी भी कर सकते हैं? चलिए, आगे हम इसे जानते हैं।
भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार स्नान करने से हमारे शरीर के रोमकूपों का सिंचन हो जाता है यानि हमारे शरीर से निकले पसीने के कारण जो पानी की कमी हो जाती है, स्नान करने से हमारे शरीर में पानी की पूर्ति हो जाती है। जिससे शरीर शीतल होकर स्फूर्ति से भर जाता है। इसके साथ-साथ भूख भी लग जाती है और अगर पहले से ही भूख लगी है तो यह और भी अधिक बढ़ जाती है।
वहीं शास्त्रों के अनुसार बिना स्नान किए भोजन करना निषेध है। कहते हैं कि स्नान करके और पवित्र होकर ही भोजन करना चाहिए। बिना स्नान किए भोजन करना पशुओं के समान माना गया है। साथ ही मान्यता यह भी है कि बिना स्नान किए भोजन करने से देवी-देवता नाराज हो जाते हैं जिससे जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि भोजन करने से पहले ही स्नान करना चाहिए। ताकि हमारा तन और मन दोनों स्वस्थ रहे।