सावन का पवित्र महीना चल रहा है। 9 अगस्त(गुरुवार) यानी कल शिवरात्रि भी है। भगवान शिव की पूजा के लिए शिवरात्रि को बहुत ही खास बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि शिवरात्रि पर भोले बाबा की आराधना करने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। मान्यता है कि शिव जी के प्रसन्न होने से व्यक्ति की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस भक्तिमय वातावरण में हम आपके लिए शिव और राम से जुड़ा एक बड़ा ही रोचक प्रसंग लेकर आए हैं। इस प्रसंग में उस घटनाक्रम का उल्लेख किया गया है, जब शिव जी ने भगवान राम की परीक्षा ली थी। यह प्रसंग पढ़कर आपको पता चलेगा कि शिव जी से ऐसा क्यों किया और राम जी इस परीक्षा में कितने सफल हुए।

शिव और राम से जुड़े इस प्रंसग का संबंध त्रेतायुग से है। बात उस वक्त की है जब प्रभु श्रीराम लंकापति रावण को हराकर और 14 साल का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस लौटे थे। अयोध्या आने पर राम जी का भव्य स्वागत हुआ था। कहते हैं कि एक दिन राम ने एक विशेष ब्राहम्ण भोज कराने का विचार किया। इस भोज में ब्राहम्णों को उनकी पसंद का भोजन कराने की योजना थी। प्रसंग के मुताबिक शिव ने ब्राहम्ण का वेश धारण करके इस भोज में शामिल हुए।

बताते हैं कि शिव जी ने इतना ज्यादा अन्न ग्रहण किया कि राम जी के भंडार में स्थित सारा अन्न ही समाप्त हो गया। यह देखकर राम जी को विश्वास हो गया कि यह कोई साधारण ब्राहम्ण नहीं है। इस पर राम ने सीता को उस ब्राहम्ण को भोज कराने के लिए भेजा। कहते हैं कि जैसे ही सीता ने उन्हें पहला निवाला खिलाया उनका पेट भर गया। और शिव जी(ब्राहम्ण) इससे बहुत प्रसन्न हुए। इस प्रकार से राम जी शिव की परीक्षा में स्पष्ट रूप से पास हो गए।