आज यानी 3 सितंबर, दिन सोमवार को देश के कई हिस्सों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है। ऐसे में पूरा वातावरण ही भक्तिमय नजर आ रहा है। इस पावन अवसर पर हम आपके लिए भगवान कृष्ण से जुड़ा एक बेहद ही दिलचस्प प्रसंग लेकर आए हैं। इस प्रसंग में उस घटनाक्रम का जिक्र किया गया है जब कृष्ण जी ने अर्जुन को अपने विराट रूप के दर्शन कराए थे। पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अपने पार्थ यानी अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाया था। कहते हैं कि अर्जुन ने श्रीकृष्ण से प्रार्थना की थी कि वे दिव्य विभूतियों और योगशक्ति के बारे में विस्तार से बताएं। कृष्ण ने अर्जुन की यह प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें दिव्य विभूतियों और योगशक्ति के बारे में जानकारी दी।
ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने खुद को समस्त ब्रम्हांड को अपने एक अंश से धारण किया हुआ बताकर उस अध्याय को समाप्त कर दिया। इस पर अर्जुन के मन में कृष्ण के उस विराट स्वरूप को देखने की इच्छा जागृत हुई। श्रीकृष्ण ने अर्जुन की इस इच्छा को भी शांत करने का निर्णय लिया और उन्हें अपने विश्वरूप का दर्शन कराया। कहते हैं कि श्रीकृष्ण के इस विराट स्वरूप का तेज बहुत ही ज्यादा था। यह तेज अर्जुन से सहन भी नहीं हो रहा था। अर्जुन पूरी तरह से कृष्ण की भक्ति में डूब गए थे और उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे।
कहते हैं कि इस विराट स्वरूप में समस्त ब्रम्हांड को समाहित देखकर अर्जुन मोह से मुक्त हो गए। इसके बाद अर्जुन ने युद्ध के विरक्ति भाव से मुक्त होकर महाभारत युद्ध का सफलता पूर्वक संचालन किया। अर्जुन की यह निष्ठा युद्ध में कौरवों पर विजय के रूप में फलदायी हुई। बताया जाता है कि श्रीकृष्ण के इस विराट स्वरूप का दर्शन अर्जुन के अलावा तीन अन्य लोगों ने भी किया था। ये हैं- हनुमान, महर्षि व्यास के शिष्य तथा धृतराष्ट्र की राजसभा के सदस्य संजय और बर्बरीक।