राम और रावण से जुड़े कई प्रसंग बड़े ही लोकप्रिय हैं। इन प्रसंगों को राम में आस्था रखने वाले लोग बड़ी ही श्रद्धाभाव के साथ सुनते हैं। इन प्रसंगों को सुनकर एक तरफ जहां उन्हें काफी आनंद आता है, वहीं दूसरी तरफ काफी कुछ सीखने को भी मिलता है। हम भी आपके लिए राम और रावण से जुड़ा एक बड़ा ही दिलचस्प प्रसंग लेकर आए हैं। इस प्रसंग में उस घटनाक्रम का उल्लेख किया गया है जब रावण ने भरी सभा में कहा था कि शत्रु हो तो राम जैसा। जी हां, बताते हैं कि एक बार राम ने जामवंत को रावण के पास एक खास निमंत्रण लेकर भेजा। जामवंत जब रावण के दरबार में गए तो उनका भव्य स्वागत किया गया। कहते हैं कि रावण ने जामवंत के स्वागत में उन्हें अपने सिंहासन पर बैठा दिया।

प्रसंग के मुताबिक, जामवंत ने रावण से कहा कि मैं राम के कहने पर आपको आचार्य पद धारण करने का निमंत्रण लेकर आया हूं। जामवंत के मुख से यह सुनकर रावण एकदम हैरान रह गया। रावण के अलावा उस सभा में उपस्थित अन्य लोगों को भी काफी हैरानी हुई। रावण ने जामवंत से कहा कि यदि मैंने राम का यह निमंत्रण ठुकरा दिया तो क्या होगा? इस पर जामवंत ने कहा कि यह तो आपकी मर्जी है।

बताते हैं कि रावण ने राम का आचार्य बनने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। रावण के इस फैसले से सभा में मौजूद लोगों को काफी आश्चर्य हुआ। इस पर रावण ने कहा कि अभी तक मुझे एक राक्षस के रूप में ही जाना जाता रहा है लेकिन अब मुझे आचार्य के रूप में भी याद किया जाएगा। यहीं पर रावण के मुख से निकला कि शत्रु हो तो राम जैसा। कहते हैं कि जामवंत जब रावण के निमंत्रण स्वीकार करने की खबर लेकर राम के पास पहुंचे तो वह बहुत प्रसन्न हुए।