ग्रहण(सूर्य ग्रहण/चंद्र ग्रहण) के दौरान सूतक लगता है। हिंदू धर्म में सूतक को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक का प्रभाव 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। वहीं, सूर्य ग्रहण के समय सूतक का प्रभाव 12 घंटे पहले से माना जाता है। बता दें कि 27-28 जुलाई के दरमियान 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह ग्रहण 27 जुलाई की रात 11 बजकर 54 मिनट से शुरू हो जाएगा जो 28 जुलाई की सुबह 3 बजकर 5 मिनट पर खत्म होगा।
सूतक के संदर्भ में ऐसी भी मान्यता है कि ग्रहण के दिखने पर ही इसका प्रभाव माना जाता है। इसके साथ ही सूतक के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखने के लिए कहा गया है। आइए जानते हैं कि सूतक काल में किन लोगों को विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए।
इन लोगों को सूतक काल का रखना चाहिए विशेष ध्यान:
1. सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सावधान रहने के लिए कहा गया है। कहते हैं कि ग्रहण के दौरान वातावरण में फैली किरणों का गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
2. सूतक काल में सिलाई व कढ़ाई-बुनाई के कार्य करने के लिए मना किया गया है। इसलिए गृहणियों को सूतक के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
3. ऐसा कहा जाता है कि सूतक काल में भगवान की पूजा-आराधना नहीं करनी चाहिए। ऐसे में जो लोग नियमीत रूप से पूजा-पाठ करते हैं उन्हें इसका ध्यान रखना चाहिए।
4. ऐसी भी मान्यता है कि सूतक काल में भोजन नहीं पकाना चाहिए। इसलिए जिन लोगों को भोजन बनाने की जिम्मेदारी हो, वे लोग सूतक के समय इसे लेकर सावधान रहें।
5. मान्यता है कि सूतक के समय शौचालय भी नहीं जाना चाहिए। कहा जाता है कि जहां तक संभव हो सूतक काल में शौच के लिए ना जाएं।
चंद्रग्रहण एक आकाशीय घटना है जिसमें चांद और सूर्य के बीच पृथ्वी के आ जाने से सूर्य का प्रकाश चांद पर नहीं पड़ता है, जिससे चांद धरती पर दिखाई नहीं देता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह एक अशुभ घटना है और इसकी छाया से बचने के लिए लोग ग्रहण के बाद स्नान-दान करते हैं। लेकिन अब ज्ञान-विज्ञान का प्रसार होने से चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण संबंधी भ्रांतियां कम हुई हैं। हालांकि, कई लोग आज भी मानते हैं कि इस खगोलीय घटना से स्वास्थ्य और व्यापार पर असर होता है इसलिए वे दान और पुण्य के कार्य करते हैं।