Ravi Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और पार्वती की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से व्यक्ति को हर एक दुख से निजात मिल सकती है। इसके साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत पड़ रहा है। रविवार के दिन पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। रवि प्रदोष व्रत पर कई शुभ योगों का भी निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं भाद्रपद प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र ,सहित अन्य जानकारी…

रवि प्रदोष व्रत 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त (Ravi Pradosh Vrat 2024 Muhurat)

द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 सितंबर को शाम 06 बजकर 12 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 16 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। ऐसे में रवि प्रदोष व्रत 15 सितंबर 2024 को है।

प्रदोष काल का मुहूर्त- प्रदोष काल में शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 :26 से लेकर रात 08:46 तक।

रवि प्रदोष व्रत 2024 पूजा विधि (Ravi Praodsh Vrat 2024 Puja Vidhi)

रवि प्रदोष व्रत पर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प ले लें। इसके बाद शिव जी की विधिवत पूजा कर लें। शिवलिंग में फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का का फूल, शमी पत्र आदि चढ़ा कर घी का दीपक आदि जलाकर आरती कर लें। दिनभर व्रत रखें। इसके बाद शाम को प्रदोष काल में दोबारा स्नान करके पूजा आरंभ करें। फूल, माला,बेलपत्र, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, भोग लगाने के साथ-साथ शिव चालीसा, शिव मंत्र और प्रदोष व्रत कथा का पाठ कर लें। इसके साथ ही शिव आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

प्रदोष व्रत का अद्भुत संयोग

प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, सुकर्मा योग, अतिगण्ड योग का निर्माण हो रहा है।

प्रदोष व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप

  • ॐ नमः शिवाय
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
  • ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
  • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
  • ऊं पषुप्ताय नमः

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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