Rangbhari Ekadashi 2025: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के बाद अब काशी में रंगभरी एकादशी की तैयारियां जोरों पर हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल रंगभरी एकादशी 10 मार्च को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस खास दिन पर भगवान शिव खुद भक्तों के संग होली खेलते हैं। इस दिन को भगवान शिव और माता पार्वती के गौने का उत्सव भी माना जाता है, जिसे काशी में सदियों से भव्य रूप से मनाया जा रहा है। बाबा विश्वनाथ की इस अनोखी होली में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं और रंग-गुलाल के साथ भक्ति का रंग भी हर ओर बिखरता है। ऐसे में आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
मेवाड़ी पगड़ी में बाबा, गुलाबी बनारसी साड़ी में माता गौरा
इस बार भगवान शिव अपने गौने की बारात में खास मेवाड़ी परिधान और राजसी पगड़ी धारण करेंगे, जो नागा साधुओं द्वारा अर्पित किया गया है। माता पार्वती गुलाबी रंग की बनारसी साड़ी में दर्शन देंगी। भगवान शिव की आंखों में लगाने के लिए काजल विश्वनाथ मंदिर के खप्पर से लाया जाएगा, जबकि माता गौरा के लिए सिंदूर अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से लाया जाएगा।
रंगभरी एकादशी के दिन मुख्य अनुष्ठान ब्रह्म मुहूर्त में शुरू होगा। पंचगव्य स्नान, षोडशोपचार पूजन और रुद्राभिषेक के बाद बाबा और माता पार्वती का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। इस अवसर के लिए कई क्विंटल विशेष गुलाल मंगाया गया है, जिससे भक्त बाबा के साथ होली खेलेंगे।
महाश्मशान में चिता भस्म से होली
रंगभरी एकादशी के अगले दिन, यानी 11 मार्च को काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म से होली खेली जाएगी। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। माना जाता है कि इस दिन शिव भक्त मृत्यु से परे जाकर भक्ति के रंग में रंग जाते हैं।
पंचक्रोशी यात्रा में शामिल होंगे नागा साधु
महाकुंभ के बाद काशी आए नागा साधु इस बार पंचक्रोशी यात्रा में भी शामिल होंगे। यह यात्रा पांच दिनों तक चलेगी, जिसमें 75 किलोमीटर की परिक्रमा पूरी की जाएगी। 500 से ज्यादा नागा साधु इस यात्रा में शामिल होंगे, जो महानिर्वाणी अखाड़े से प्रस्थान करेंगे और मणिकर्णिका तीर्थ पर कूपजल से संकल्प लेकर यात्रा प्रारंभ करेंगे। 10 मार्च को जब बाबा की पालकी उठेगी, तो पूरा काशी शिवमय हो जाएगा। भक्तों के जयकारों के बीच बाबा जब रंगों में सराबोर होंगे, तो पूरे शहर में भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। बता दें कि रंगभरी एकादशी सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि काशीवासियों के लिए श्रद्धा, भक्ति और उत्सव का अद्वितीय संगम है।
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