Ramraj Temple Anniversary 2025: बाघमारा के चिटाहीधाम में इन दिनों भक्ति का माहौल बना हुआ है। यहां के श्रीराम राज मंदिर में नौ दिवसीय महायज्ञ और वार्षिक महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। पहले दिन भव्य कलश यात्रा और शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। इस आयोजन की शुरुआत तेलमच्चो स्थित दामोदर नदी से हुई, जहां श्रद्धालुओं ने कलश में पवित्र जल भरा और मंदिर तक पैदल यात्रा की। इस दौरान महाराष्ट्र के ढोल बाजे की धुन और असम की बिहू नृत्य टीम लोगों का ध्यान खींच रही थी। इसके अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश और कानपुर से आई सांस्कृतिक झलकियों ने भी माहौल को और खास बना दिया।

बाघमारा का श्रीराम राज मंदिर महोत्सव सिर्फ पूजा-पाठ का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संगम भी है। इस आयोजन में देशभर की झलकियां और भक्ति का रंग देखने को मिलता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां आकर लोग अपनी सभी समस्याओं को भूल जाते हैं और भक्ति के डूब जाते हैं। तो चलिए जानते हैं चिटाहीधाम में 9 दिनों तक चलने वाले प्रमुख कार्यक्रम और इस मंदिर की मान्यताएं के बारे में।

भव्य आयोजन

इस महायज्ञ में सांसद ढुल्लू महतो, उनकी पत्नी सावित्री देवी, विधायक शत्रुध्न महतो, खुशवंत महतो सहित कई श्रद्धालु शामिल हुए। सांसद ढुल्लू महतो ने इसे श्रीराम जी की सेना बताया और कहा कि इस आयोजन को और खास बनाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत कई केंद्रीय मंत्रियों को भी आमंत्रित किया गया है।

9 दिनों तक चलने वाले प्रमुख कार्यक्रम

4 फरवरी – भव्य शोभायात्रा, जिसमें कानपुर की झांकी निकाली गई थी
5 फरवरी – विराट बांग्ला जात्रा का आयोजन किया गया (कोलकाता)
6 फरवरी – प्रवचन (श्री श्री रविशंकर) – दोपहर 12:30 बजे
6 फरवरी – भक्ति जागरण (स्वाति मिश्रा) – शाम 7 बजे
7 फरवरी – प्रवचन (साध्वी सरस्वती) – शाम 4 बजे
8 फरवरी – विराट कवि सम्मेलन (कुमार विश्वास) – शाम 7 बजे
9 फरवरी – भजन संध्या (भोजपुरी गायक पवन सिंह) – शाम 7 बजे
10-11 फरवरी – सांस्कृतिक कार्यक्रम – शाम 7 बजे

श्रीराम राज मंदिर का महत्व

यह मंदिर पहले एक छोटा सा राम मंदिर था, जिसे स्थानीय लोगों की मदद से भव्य रूप दिया गया। 2019 में उस समय बाघमारा के विधायक (अब सांसद) ने इसका उद्घाटन किया और तभी से यह श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बन गया। हर साल यहां भव्य यज्ञ का आयोजन होता है, जिसमें हजारों भक्त हिस्सा लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान श्रीराम और शिव जी को चुनरी चढ़ाने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लोग इसे मिनी अयोध्या भी कहते हैं।

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