Rameshwaram Jyotirlinga: भारत के तमिलनाडु राज्य में रामनाथपुरम जिले के रामेश्वरम में स्थित रामेश्वरम मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और पूरी दुनिया में अपनी खास पहचान रखता है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित यह मंदिर धार्मिक आस्था, वास्तुकला और पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम है। यहां पहुंचने का सफर भी उतना ही रोमांचक है जितना कि इस मंदिर का महत्व। आपको बता दें कि कंक्रीट के 145 खंभों पर टिका सौ साल पुराने पुल से ट्रेन के द्वारा इस मंदिर में जाया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर की खासियत, पौराणिक कथा, यात्रा और इस मंदिर से जुड़ी हर जानकारी के बारे में।
रामेश्वरम मंदिर की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम जब 14 साल का वनवास खत्म करके और लंका पति रावण का वध करके मां सीता के साथ लौटे, तब ऋषि-मुनियों ने उनसे कहा कि उनपर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा है। इसलिए उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए शिवलिंग की स्थापना करने की सलाह दी गई। ऐसे में भगवान राम ने शिवलिंग लाने के लिए हनुमान जी को कैलाश पर्वत भेजा, लेकिन हनुमान जी को आने में देर हो गई। इस बीच माता सीता ने समुद्र तट पर रेत से शिवलिंग बना दिया। बाद में हनुमान जी द्वारा लाए गए शिवलिंग को भी वहीं स्थापित किया गया। एक तरफ जहां माता सीता द्वार बनाए लिंग को ‘रामलिंग’ और तो वहीं दूसरी तरफ हनुमान जी द्वारा लाए गए लिंग को ‘विश्वलिंग’ कहा गया। उसके बाद भगवान राम ने रामेश्वरम के पास स्नान करके शिवलिंग की विधिवत पूजा की और अपने पापों से मुक्ति पाई। आपको बता दें कि आज भी रामेश्वरम मंदिर में ये दोनों शिवलिंग विराजमान हैं।
रामेश्वरम मंदिर की खास बातें
विशाल आकार और अद्भुत वास्तुकला
यह मंदिर करीब 1000 फुट लंबा और 650 फुट चौड़ा है। इसका प्रवेश द्वार 40 मीटर ऊंचा है। मंदिर की दीवारें और गलियारे द्रविड़ शैली की वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण हैं। बता दें कि इस मंदिर को बनाने के लिए पत्थरों को श्रीलंका से नाव के जरिए लाया गया था।
दुनिया का सबसे लंबा गलियारा
रामेश्वरम मंदिर का गलियारा विश्व प्रसिद्ध है। यह उत्तर से दक्षिण 197 मीटर और पूर्व से पश्चिम 133 मीटर लंबा है। यहां तीन गलियारे हैं, जिनमें से एक गलियारा 12वीं सदी का माना जाता है।
22 पवित्र कुंड
मंदिर परिसर में 22 पवित्र कुंड हैं, जहां श्रद्धालु पूजा से पहले स्नान करते हैं। यहां के कुंडों का पानी भी चमत्कारिक गुणों से भरपूर है। कहा जाता है कि यहां के अग्नि तीर्थम में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और बीमारियां दूर हो जाती हैं।
145 खंभों पर टिका पुल
रामेश्वरम पहुंचने के लिए एक सौ साल पुराना पुल है, जो 145 खंभों पर टिका हुआ है। समुद्र के बीच से गुजरती ट्रेन का नजारा इतना खूबसूरत है कि इसे देखने का अनुभव जीवनभर याद रहता है।
मंदिर का समय
रामेश्वरम मंदिर सुबह 4:30 बजे खुलता है और दोपहर 1:00 बजे बंद हो जाता है। इसके बाद यह दोपहर 3:00 बजे फिर से खुलता है और रात 9:00 बजे बंद होता है।
रामेश्वरम तक कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग
रामेश्वरम का निकटतम एयरपोर्ट मदुरई है, जो 149 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी या बस लेकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
रामेश्वरम जाने के लिए आप मदुरई से ट्रेन ले सकते हैं।
सड़क मार्ग
रामेश्वरम सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मदुरई से रामेश्वरम तक के लिए एसी और नॉन-एसी बसें चलती हैं।
मंदिर की अन्य मान्यताएं
पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ब्राह्मण कुल से था, इसलिए भगवान राम को ब्रह्महत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना कर विधिवत पूजा की। यहां के जल को चमत्कारिक गुणों से भरपूर माना जाता है।
रामेश्वरम की वास्तुकला
रामेश्वरम मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। 15 एकड़ में फैला यह मंदिर एक बड़ी दीवार से घिरा हुआ है। मंदिर का प्रवेश द्वार भव्य और आकर्षक है। यहां के गलियारे और मूर्तियां इसे दुनिया के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक बनाते हैं।
इन कुओं के जल से दूर होता है सारा दोष
रामेश्वरम मंदिर में कुल 24 कुएं हैं। ऐसी मान्यता है कि इसे स्वयं भगवान राम ने बनाया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन कुओं स्नान करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़े सारे दु:ख और दोष दूर हो जाते हैं।
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