Ramayan Episode: डीडी नेशनल (DD National) पर प्रसारित हो रहे रामायण शो में हनुमान जी की एंट्री हो चुकी है। अपने भक्त हनुमान को देख श्री राम काफी प्रसन्न हुए। भगवान हनुमान अपने शरीर का आकार बड़ा करके श्री राम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठा सुग्रीव के पास ले जाते हैं। लेकिन कैसे हनुमान जी ने अपने शरीर का आकार बड़ा कर लिया और किसने उन्हें ये वरदान दिया था। जानिए इसके पीछे की दिलचस्प स्टोरी…
हनुमान जी के जन्म की कथा: माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था। जिसे हनुमान जयंती के नाम से जाना जाता है। ये तिथि इस बार 08 अप्रैल को है। शिवपुराण के अनुसार, देवताओं और दानवों को अमृत बांटते हुए विष्णुजी के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया। सप्तऋषियों ने उस वीर्य को कुछ पत्तों में संग्रहित कर लिया। समय आने पर सप्तऋषियों ने भगवान शिव के वीर्य को वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से गर्भ में स्थापित कर दिया, जिससे अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्री हनुमानजी उत्पन्न हुए।
पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी बेहद नटखट स्वाभाव के थे। बाल्यकाल में एक बार वे सूर्यदेव को फल समझकर खाने के लिए दौड़े तो घबराकर देवराज इंद्र ने हनुमानजी पर वज्र से वार कर दिया। वज्र के प्रहार से हनुमान निश्तेज हो गए। यह देखकर वायुदेव को क्रोध आ गया और उन्होंने समस्त संसार में वायु का प्रवाह रोक दिया। जिससे संसार में हाहाकार मच गया। तब परमपिता ब्रह्मा ने हनुमान को स्पर्श कर पुन: चैतन्य किया। उस समय सभी देवताओं ने हनुमानजी को कई तरह के वरदान दिए। जिससे हनुमानजी परम शक्तिशाली बन गए। जानिए हनुमान जी को किसने कौन सा वरदान दिया…
1. ब्रह्मा जी ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह बालक दीर्घायु, महात्मा और सभी प्रकार के ब्रह्दण्डों से अवध्य होगा। युद्ध में कोई इससे जीत नहीं पायेगा। यह अपनी इच्छा अनुसार कोई भी और कैसा भी रूप धारण कर सकेगा, जहां चाहेगा वहां जा सकेगा। इसकी गति इसकी इच्छा के अनुसार तीव्र या मंद होगी। ब्रह्मा जी के दिये वरदान अनुसार ही हनुमान जी अपने शरीर का आकार छोटा या बड़ा कर पाए।
2. भगवान सूर्य ने हनुमानजी को अपने तेज का सौवां भाग प्रदान किया और कहा कि जब इसमें शास्त्र अध्ययन करने की शक्ति आ जाएगी, तब मैं ही इसे शास्त्रों का ज्ञान दूंगा।
3. धर्मराज यम ने बजरंगबली को वरदान दिया कि यह मेरे दण्ड से अवध्य और निरोग होगा यानी वे यम के प्रकोप का शिकार नहीं होंगे।
4. यक्षराज कुबेर ने वरदान दिया कि इस बालक को युद्ध में कभी विषाद नहीं होगा तथा मेरी गदा संग्राम में भी इसका वध न कर सकेगी।
5. भगवान शंकर ने वरदान दिया कि यह मेरे और मेरे शस्त्रों द्वारा भी अवध्य रहेगा यानी इसका अंत न हो सकेगा।
6. भगवान विश्वकर्मा ने वरदान दिया कि मेरे बनाए हुए जितने भी शस्त्र हैं, उनसे यह अवध्य रहेगा यानि उन शस्त्रों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
7. देवराज इंद्र ने हनुमानजी को यह वरदान दिया कि यह बालक आज से मेरे वज्र द्वारा भी अवध्य रहेगा।
8. वरुण देवता ने यह वरदान दिया कि दस लाख वर्ष की आयु हो जाने पर भी मेरे पाश और जल से इस बालक की मृत्यु नहीं हो सकेगी।