Param Gyani Ravana: कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है। लगभग एक महीने से लोग अपने घरों में बंद हैं, इस बीच जो एक अच्छी बात हुई है वो ये कि दूरदर्शन पर रामायण, महाभारत और चाणक्य जैसे कई पौराणिक कथाओं का पुनः प्रसारण किया जा रहा है। रामायण में जहां प्रभु राम रावण का वध कर, 14 वर्ष का वनवास काटने के बाद सीता और लक्ष्मण समेत वापस अयोध्या लौट आए हैं, वहीं लंका की राजगद्दी भी विभीषण को मिल चुकी है। धारावाहिक को देखते वक्त हर किसी के मन में एक न एक बार ये सवाल जरूर आया होगा कि रावण कितने महान थे जो स्वयं नारायण को नर रूप धारण करके उनका वध करने धरती पर आना पड़ा। अगर रावण अपने अहंकार पर विजय पा लेता तो उसके समान ज्ञानी तो पूरे विश्व में कोई नहीं था।
ये है रावण का परिवार: ऋषि विश्वश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र रावण दशानन के नाम से भी ख्यातिमान था। कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा भी रावण के सगे भाई-बहन थे। इनके अलावा, खर, दूषण और अहिरावण भी रावण के भाई थे। उसकी एक बहन का नाम कुंभिनी भी था जो मथुरा के राजा मधु राक्षस की भार्या थी और राक्षस लवणासुर की मां थी। रावण को ज्योतिष ज्ञान, वास्तु और विज्ञान विद्या का अपार स्रोत माना जाता है। महान ज्ञानी और भगवान शिव के परम भक्त रावण ने अपने जीवन काल में कई ग्रंथ भी लिखे हैं जिसे लोग आज भी पढ़ते हैं। आइए जानते हैं-
शिव तांडव स्त्रोत: इस बात से तो सभी लोग वाकिफ हैं कि रावण भगवान शिव का कितना बड़ा भक्त था। धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ही शिव तांडव स्त्रोत लिखा था। आज भी जब भक्त शिव भगवान की अराधना करते हैं तो इस श्लोक को जरूर पढ़ते हैं। महादेव की पूजा-अर्चना में इस श्लोक को विशेष दर्जा प्राप्त है।
कुमारतंत्र: रावण ने अपने इस ग्रंथ में ज्योतिष, तंत्र विद्या और आयुर्वेद से जुड़े रहस्यों के बारे में बताया है। और इनसे संबंधित जानकारियों को साझा किया है।
रावण संहिता: महान पराक्रमी रावण ने अपने पूरे जीवन में जितनी भी विद्या और ज्ञान अर्जित की, उसे इस ग्रंथ में अंकित कर दिया। ज्योतिष ज्ञान का समागम भी इस ग्रंथ में पढ़ने को मिलता है।
उड्डीशतंत्र: चिकित्सा, तंत्र विद्या, सम्मोहन विद्या और विशिष्ट तंत्र ज्ञान और साधनाओं का रहस्य इस ग्रंथ में रावण ने खुलासा किया है।
दस शतकात्मक अर्कप्रकाश: रावण द्वारा लिखे गए इस ग्रंथ में उपचार और तंत्र विद्या के बारे में बताया गया है। वैद्यों के लिए इस किताब का बहुत महत्व हुआ करता था।