Ramadan 2023: मुस्लिम समुदाय में रमज़ान का विशेष महत्व है। रमज़ान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इस साल रमज़ान का पवित्र महीना  24 मार्च से शुरू हुआ था, जो चांद निकलने के बाद 22 या 23 मार्च को ईद के साथ समाप्त हो जाएगा। रमज़ान पाक महीनों में से एक माना जाता है। इसे ‘कु़रआन का महीना’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसी महीने में पैगंबर मोहम्मद के जरिए कु़रान उतारा गया था। रमज़ान के दौरान रोज़ाना रोज़ा रखने के साथ-साथ अंत में ईद का जश्न मनाया जाता है, लेकिन ईद में नमाज़ पहले से पहले ज़कात और फितरा अदा करना जरूरी माना जाता है। ज़कात और फितरा को लेकर लोगों के मन में विभिन्न तरह के सवाल उठते हैं कि आखिर ये क्या चीज है और इसे करना फर्ज़ क्यों माना जाता है। ज़कात और फितरा में कितना दान करना चाहिए या फिर किस तरह करना चाहिए।

क्या है ज़कात?

ज़कात को साधारण शब्दों में सबसे, तो एक तरह का दान होता है, जो ईद की नमाज़ पड़ने से पहले जरूरतमंद, असहाय लोगों को दी जाती है। मोहम्मद काशिफ के अनुसार, ज़कात एक तरह का फर्ज है जिसे जरूर पूरा करना चाहिए। इसलिए इस्लामी क़ानून के अनुसार व्यक्ति के लिए ज़कात देना अनिवार्य है।

किस तरह निकाला जाता है ज़कात?

अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि कितना ज़कात देना सही माना जाता है, जिससे कि अल्लाह की रहम हमेशा उसपर बनी रहे। बता दें कि एक साल से अधिक समय तक रखे सोने के गहने से लेकर नकदी आदि का कुल मूल्य का 2.5 प्रतिशत ज़कात निकाला जाता है। साधारण शब्दों में कहें, तो ज़कात उन चीजों का अदा किया जाता है, जिसे खरीदे या रखे हुए पूरा एक साल हो चुका हो।

कौन लोग दे सकते हैं ज़कात?

अगर किसी घर में सात सदस्य है और वो सभी नौकरी या फिर किसी व्यवसाय आदि के द्वारा पैसा कमा रहे हैं, तो परिवार के हर एक सदस्य को ज़कात देना फर्ज़ है। साधारण शब्दों में कहें, तो घर में अगर बेटा-बेटी भी पैसा कमाते हैं, तो सिर्फ मां-बाप की ज़कात नहीं देंगे, बल्कि बेटा-बेटी भी अपनी संपत्ति का ज़कात अदा करेंगे।

किन लोगों को देना चाहिए ज़कात?

ज़कात के लिए पहले अपने आस-पड़ोस देखा जाता है कि कौन जरूरतमंद या असहाय है, जो खुशियों के साथ ईद नहीं बना सकता है। अगर आस-पड़ोस में कोई नहीं है, तो फिर किसी अन्य ग़रीब या ज़रूरतमंद को दिया जाता है।

 फितरा क्या है?

ज़कात की तरह कही फितरा भी ईद की नवाज़ को पढ़ने से पहले दिया जाता है। जहां ज़कात में अपनी नकदी, सोने के गहनों का 2.5 प्रतिशत दिया जाता है। वहीं, फितरा सवा दो किलों गेहूं या फिर उसके बराबर रकम दी जाती है। आप चाहे तो फितरा इससे भी ज्यादा दे सकते हैं। इसके पीछे सोच यही है कि ईद के दिन कोई खाली हाथ न रहे। हर किसी के घर में  खुशियां ही खुशियां आएं।