30 दिन के रमज़ान में कुल तीन अशरा होते हैं, जो हर 10 दिन में बंटे होते हैं। हर अशरे की अपनी खासियत होती है। यह पहला अशरा चल रहा है। इस अशरे को रहम का अशरा कहा जाता है। मुसलमान कुरान की तिलावत, नफ्ल नमाज और हर दुआ से अल्लाह को इस अशरे में राजी करने की कोशिश में लगे हैं। ऐसे में इस अशरे में इबादत कैसे करें और कौन-कौन सी दुआएं पढ़ें, आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में।
पहली दुआ: ए मेरे रब, मुझे माफ कर दो और मुझ पर रहम कर (कुरान – 23:118)
कुरान की इस आयात का वजीफा करें। रमज़ान में जितनी हो सके, इस दुआ की तिलावत करें और अल्लाह से रहम तलब करें।
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दूसरी दुआ: इसलिए, मुझे याद रखो और मैं आपको याद रखूंगा। (कुरान – 2: 152)
रमज़ान के हर दिन यह दुआ ज्यादा से ज्यादा पढ़ें। यह कुरान की आयत है, जिसमें अल्लाह अपने बंदों से फरमाता है कि तुम मुझे याद करते रहो, मैं तुम्हें याद रखूंगा।
तीसरी दुआ: मैंने जिन्न और मानव जाति का निर्माण केवल अल्लाह की इबादत के लिए किया है। (कुरान – 51:56)
इस आयात को रमजान में खूब पढ़ें। इसकी बहुत फजीलत है। अल्लाह ने इस आयत के जरिए यह फरमाया है कि वह इंसान और जिन्न को केवल उसकी इबादत के लिए पैदा किया गया है।
पहले अशरे में होती है सिर्फ इबादत: रमजान के पहले अशरे में अल्लाह की रज़ा के लिए इबादत और बंदगी की जाती है। यह इसलिए किया जाता है, क्योंकि अल्लाह को किसकी और कौन-सी इबादत पसंद आ जाए, यह कोई नहीं जानता है।