Rama Ekadashi 2020: कार्तिक मास को बहुत शुभ माना जाता है। पुराणों में वर्णित है कि भगवान श्री कृष्ण ने यह कहा है कि उन्हें कार्तिक मास अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए ही यह महीना वैष्णव और श्रीकृष्ण की भक्ति करने वाले लोगों के लिए खास माना जाता है। इस महीने का एक खास दिन रमा एकादशी भी है।
इस साल रमा एकादशी व्रत 11 नवंबर, बुधवार को रखा जाएगा। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रमा एकादशी व्रत किया जाता है। इस एकादशी व्रत को रमा एकादशी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती हैं। आपको बता दें कि माता महालक्ष्मी का एक नाम रमा भी हैं।
रमा एकादशी का महत्व (Rama Ekadashi Importance)
सामान्य तौर पर सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं। लेकिन रमा एकादशी को इसलिए खास माना जाता है क्योंकि इस दिन व्रत रखकर देवी लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त की जा सकती हैं।
बताया जाता है कि इस दिन माता महालक्ष्मी के पूजन के महत्व की वजह से ही इस एकादशी का नाम रमा एकादशी है। विद्वानों का मानना है कि इस दिन व्रत रखने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इसलिए यह मान्यता है कि भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के इच्छुक लोगों को जशरमा एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए।
रमा एकादशी पूजा विधि (Rama Ekadashi Puja Vidhi)
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
एक चौकी लें उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। अगर पीले रंग का कपड़ा ना बिछा पाएं तो लाल रंग का कपड़ा भी लिया जा सकता है।
अब इस पर भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
कुमकुम का तिलक कर प्रतिमा पर पुष्पों की माला अर्पित करें। साथ ही भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता भी चढ़ाएं।
धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर ईश्वर की प्रतिमा के आगे मस्तक झुकाकर प्रणाम करें।
अब विष्णु चालीसा, लक्ष्मी चालीसा, विष्णु स्तुति, श्री लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
इसके बाद भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
अब श्री लक्ष्मी नारायण भगवान की आरती करें।
साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि इस व्रत में भगवान विष्णु को गुड़ और तिलों का भोग लगाया जाता है।
गुड़ और तिलों भोग लगाकर पूजा संपन्न करें।
फिर प्रतिमा के समक्ष दंडवत प्रणाम करें।
रमा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त (Rama Ekadashi Puja Ka Shubh Muhurat)
सुबह की पूजा का मुहूर्त – सुबह 5 बजकर 22 मिनट से 6 बजकर 41 मिनट तक।
शाम की पूजा का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 29 मिनट से 6 बजकर 48 मिनट तक।