Ram Navami 2022 Date, Puja Vidhi, Timings: राम नवमी पर्व का हिंदू धर्म में खास महत्व माना गया है। आपको बता दें कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार राम नवमी पर रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवि योग का त्रिवेणी संयोग बन रहा है। ये तीनों ही योगों ने इस दिन इस दिन का महत्व और बढ़ा दिया है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। साथ ही इस दिन भगवान राम और सीता के साथ मां दुर्गा और भगवान हनुमान जी की पूजा- अर्चना की जाती है। मान्यता है इन दिन प्रभु श्री राम की पूजा- आराधना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसके साथ ही रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है। जानिए राम नवमी की पूजा विधि, मुहूर्त, कथा और आरती…

इन ग्रह स्थितियों में हुआ था प्रभु श्री राम का जन्म:

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में हुआ था, तब चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न का उदय था और पांच ग्रह मंगल, शुक्र, सूर्य, शनि एवं बृहस्पति उच्च स्थान पर विद्यमान थे।

राम नवमी 2022 शुभ मुहूर्त: 

चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का प्रारंभ: 10 अप्रैल, दिन रविवार, 01:22 AM पर

चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का समापन: 11 अप्रैल, दिन सोमवार, 03:16 AM पर

राम जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त: दिन में 11:06 बजे से दोपहर 01:39 बजे तक

दिन का शुभ समय: दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक

राम नवमी पूजा विधि:

सर्वप्रथम नवमी के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल की अच्छे से सफाई कर लें। अब हाथ में अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। इसके बाद प्रभु श्री राम का पूजन आरंभ करें। साथ ही रोली, चंदन, धूप और गंध आदि से षोडशोपचार पूजन करें। इसके बाद पूजन में गंगाजल, फूल, 5 प्रकार के फल, मिष्ठान आदि का प्रयोग करें। भगवान राम को तुलसी का पत्ता और कमल का फूल जरूर अर्पित करें। पूजन करने के बाद अपनी इच्छानुसार रामचरितमानस, रामायण या रामरक्षास्तोत्र का पाठ करें। भगवान राम की आरती के साथ पूजा संपन्न करें। साथ ही प्रभु से यश, बुद्धि विवेक का वरदान मांगे।

जानिए क्या है रामनवमी का इतिहास:

यह पर्व पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है। ये त्योहार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्म के रूप में मनाया जाता है। महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थीं लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी उन्हें किसी भी पत्नी से संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाई थी। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराने का सुझाव दिया। इसके पश्चात् राजा दसरथ ने श्रृंगी ऋषि से ये यज्ञ कराया। (यह भी पढ़ें)- Mangal Gochar: 7 अप्रैल से चमक सकती है इन 3 राशि वालों की किस्मत, ग्रहों के सेनापति मंगल देव की रहेगी विशेष कृपा

यज्ञ समाप्ति के बाद महर्षि ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। जिसके कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं। राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया वहीं कैकयी ने भरत को, सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। भगवान राम का जन्म धरती पर रावण को खत्म करने के लिए हुआ था। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी। (यह भी पढ़ें)- Shani Dev: 29 अप्रैल को गोचर करेंगे शनिदेव, इन राशियों पर पड़ेगा विशेष प्रभाव, खुल सकते हैं किस्मत के नए द्वार