Chaitra Navratri 2025, Ram Navami Puja Vidhi, Subh Muhurat: हर साल चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन आने वाली राम नवमी का हिंदू धर्म में बहुत ही खास महत्व होता है। ये दिन भगवान श्रीराम के जन्म के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर-घर में राम लला की पूजा होती है, मंदिरों में विशेष झांकियां सजाई जाती हैं और लोग पूरे श्रद्धा भाव से व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
बता दें कि पंचांग के अनुसार, राम नवमी हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में ये तिथि 5 अप्रैल की शाम 7 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 6 अप्रैल की शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस बार राम नवमी 6 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। तो चलिए जानते हैं राम नवमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती, कन्या पूजन सहित अन्य जानकारी के बारे में…
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् । 1।
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् । जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ।2।
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम्। स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ।।3।।
रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्। शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ।। 4।।
कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति। घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ।।5।।
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः। स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ।।6।।
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित। मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ।।7।।
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः। उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ।।8।।
जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः। पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ।।9।।
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत। स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ।।10।।
पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः। न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ।।11।।
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन। नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ।।12।।
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्। यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ।।13।।
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत। अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ।।14।।
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः। तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ।।15।।
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्। अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ।।16।।
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ। पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ।।17।।
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ। पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ।।18।।
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्। रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ।।19।।
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ। रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ।।20।।
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा। गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ।।21।।
रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली। काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ।।22।।
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः। जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः।।23।।
इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः। अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ।।24।।
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम। स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ।।25।।
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम।।26।।
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ।।27।।
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम। श्रीराम राम रणकर्कश राम राम। श्रीराम राम शरणं भव राम राम ।।28।।
श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि। श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ।।29।।
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः । सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ।।30।।
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज। पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ।।31।।
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं। कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ।।32।।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ।।33।।
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम। आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ।।34।।
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।।35।।
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्। तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ।।36।।
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः।।37।।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।38।।
रामनवमी पर सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनने शुभ माने जाते हैं। क्योंकि सफेद और पीले रंग को श्रीराम का प्रिय रंग माना जाता है।
ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्॥
कोदण्ड राम मंत्र
श्री राम जय राम कोदण्ड राम॥
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
रामनवमी के दिन घर में दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद घर की सफाई करें। फिर घर में गंगाजल छिड़कें। इसके बाद चंदन का तिलक लगाएं और घर में घी का दीपक जलाएं।
इस साल प्रभु श्री राम का जन्मोत्सव में कई शुभ योगों का निर्माण हो रह है है। इस दिन रवि पुष्य योग सुबह 06:18 से लेकर 7 अप्रैल को सुबह 06:17 तक रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:18 मिनट से आरंभ होगा, जो पूरे दिन रहेगा।
ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम
श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः
ॐ राम रामाय नमः
श्री राम जय राम जय जय राम
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्
ॐ राम चन्द्राय नम
राम नवमी पर कन्या पूजन का अभिजित मुहूर्त- 06 अप्रैल सुबह 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक है।
आज देशभर में श्रीराम जन्मोत्सव का महोत्सव बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। बता दें कि आज दोपहर 12 बजे रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक किया जाएगा।
पंचांग के अनुसार, 6 अप्रैल को रामनवमी का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 8 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। पूजा मुहूर्त की कुल अवधि करीब 2 घंटे 31 मिनट होगी।
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नमः ||
ॐ क्लीं नमो भगवते रामचन्द्राय सकलजन वश्यकराय स्वाह: ||
रामनवमी पर सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनने शुभ माने जाते हैं। क्योंकि सफेद और पीले रंग को श्रीराम का प्रिय रंग माना जाता है।
नवरात्रि की नवमी तिथि को बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ माना जाता है।
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
आज नवमी के दिन मां सिद्धिदात्रि को खीर, पूड़ी, चना, हलवा, नारियल और मौसमी फल का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन इन चीजों का भोग लगाने से व्यक्ति को मनचाहा लाभ मिलता है।
पंचांग के अनुसार, 6 अप्रैल को रामनवमी का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 8 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। पूजा मुहूर्त की कुल अवधि करीब 2 घंटे 31 मिनट होगी।
यदि आप किसी कार्य में आ रही रुकावटों को दूर करना चाहते हैं और सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो राम नवमी के दिन भगवान राम को चंदन का तिलक लगाएं, घी का दीपक जलाकर आरती करें और श्रीराम स्तुति का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान राम प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। इस उपाय को करने से कार्य में आ रही रुकावटे भी दूर होगी।
इसके अलावा, राम नवमी के दिन अन्न और धन का दान करना भी बहुत पुण्यदायक होता है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना या गरीबों को वस्त्र दान करना न सिर्फ पुण्य का काम है, बल्कि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है।
राम दरबार की तस्वीर
मौली
चंदन
अभिषेक के लिए दूध
अक्षत
कपूर
पुष्प
माला
सुंदरकांड या रामायण की पुस्तक
पान
लौंग
इलायची
ध्वजा
सिंदूर
मिठाई
धूप
पीला वस्त्र
दीप
तुलसी दल
दही
दूध
पंचमेवा
शहद
पांच फल
शक्कर
गंगाजल
पंजीरी के लिए आटा या सूजी
आम की लकड़ी
चंदन की लकड़ी
कपूर
गाय की घी
पीपल का तला या छाल
बेल
नीम
शक्कर
पंचमेवा
तिल
चावल
लौंग
इलायची
सूखा नारियल का गोला
जौ
ऊँ रां रामाय नम:।।
आपदामपहर्तार दातारं सर्वसंपदाम्। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेदसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:।।
ॐ दशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्॥
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।
रामनवमी के दिन भगवान श्री राम को अपनी श्रद्धा के अनुसार किसी भी चीज का भोग लगा सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार, प्रभु श्री राम को केसर भात, चावल की खीर, पीली रंग की मिठाई, कंदमूल, बेर आदि अति पसंद है।
यूं तो नवरात्रि में 9 कन्याओं को भोजन करना शुभ माना जाता है। लेकिन अगर आपको 9 कन्याएं नहीं मिल रही है, तो आप 3, 5 या 7 कन्याओं को भी भोजन करा सकते हैं। इसके साथ ही एक बालक को भी बुलाएं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, नवमी तिथि की शुरुआत 5 अप्रैल को रात 7 बजकर 26 मिनट से हो चुकी है और यह तिथि आज यानी 6 अप्रैल को रात 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। वहीं, कन्या पूजन के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। ऐसे में आप इस समय कन्या पूजन कर सकते हैं।
सबसे पहले कन्या पूजन के दिन कन्याओं को सम्मानपूर्वक बुलाएं और उन्हें अपने घर में बिठाएं। इसके बाद सभी कन्याओं के पैर धोएं। फिर उनके माथे पर रोली और अक्षत का तिलक लगाएं। आप उन्हें मां दुर्गा का रूप मानकर उनकी विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा करने के बाद उन्हें हलवा, पूरी, चना आदि प्रसाद खिलाएं। भोजन करवाने के बाद आप उन्हें उपहार और दक्षिणा जरूर दें। आप कन्या पूजन में उन्हें चुनरी भी भेंट कर सकते हैं। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है। आखिरी में कन्याओं के पैर स्पर्श करके उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करें।
या देवी सर्वभूतेषु ‘कन्या ‘ रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
ॐ श्री दुं दुर्गायै नमः ।।
ॐ श्री कुमार्यै नमः ।।
ॐ श्री त्रिगुणात्मिकायै नमः ।।
ब्रह्म मुहूर्त- 04:34 ए एम से 05:20 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:57 ए एम से 06:05 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:58 ए एम से 12:49 पी एम
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नमः ||
ॐ क्लीं नमो भगवते रामचन्द्राय सकलजन वश्यकराय स्वाह: ||
इस साल राम नवमी पर रवि पुष्य योग सुबह 06:18 से लेकर 7 अप्रैल को सुबह 06:17 तक रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:18 मिनट से आरंभ होगा, जो पूरे दिन रहेगा।
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का आरंभ- 5 अप्रैल 2025, शनिवार को शाम 7 बजकर 26 मिनट से
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि समाप्त- 6 अप्रैल 2025, रविवार को शाम 7 बजकर 22 मिनट तक
राम नवमी तिथि- 6 अप्रैल 2025
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् । 1।
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् । जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ।2।
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम्। स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ।।3।।
रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्। शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ।। 4।।
कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति। घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ।।5।।
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः। स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ।।6।।
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित। मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ।।7।।
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः। उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ।।8।।
जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः। पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ।।9।।
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत। स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ।।10।।
पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः। न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ।।11।।
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन। नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ।।12।।
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्। यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ।।13।।
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत। अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ।।14।।
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः। तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ।।15।।
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्। अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ।।16।।
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ। पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ।।17।।
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ। पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ।।18।।
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्। रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ।।19।।
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ। रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ।।20।।
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा। गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ।।21।।
रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली। काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ।।22।।
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः। जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः।।23।।
इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः। अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ।।24।।
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम। स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ।।25।।
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम।।26।।
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ।।27।।
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम। श्रीराम राम रणकर्कश राम राम। श्रीराम राम शरणं भव राम राम ।।28।।
श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि। श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ।।29।।
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः । सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ।।30।।
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज। पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ।।31।।
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं। कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ।।32।।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ।।33।।
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम। आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ।।34।।
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।।35।।
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्। तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ।।36।।
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः।।37।।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।38।।
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
बोलो – जय श्रीराम, जय श्रीराम, सीता माता की जय, भगवान राम की जय
