Raksha Bandhan 2019: रक्षा बंधन का त्यौहार भारत में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन यह पर्व आता है। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा सूत्र यानी राखी बांधती हैं। बहनों द्वारा इस रक्षा सूत्र को भाई की लंबी उम्र के लिए बांधा जाता है। भाई भी इस दिन अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं। लेकिन एक सवाल जो हर किसी के मन में आता होगा कि आखिर राखी बांधने की परंपरा कैसे शुरु हुई। इसे लेकर कई कहानियां सुनने को मिलती है जो इस प्रकार है…

राजा बलि के यज्ञ में विष्णुजी अपने वामन अवतार में पहुंचे थे और उनसे 3 डग जमीन की मांग की। राजा बलि ने भगवान विष्णु की बात को मान लिया। तब वामन रूप में विष्णु भगवान ने एक डग में पूरी पृथ्वी व दूसरे में आकाश नाप लिया। अब तीसरा पग रखने की बात आई तब राजा बलि ने अपना सिर श्री हरि के आगे झुका दिया। बलि के इस समर्पण को देख भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए और उन्होंने कहा कि आप पाताल लोक में निवास करो, मैं सुदर्शन रूप में आपके द्वार पर रहूंगा। तब माता ने राजा बलि को वापस लाने के लिए राखी बांधी। मान्यता है कि जिस समय माता ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था तब श्रावण माह की पूर्णिमा थी व श्रवण नक्षत्र था।

– मेवाड़ की महारानी कर्मावती से जुड़ी भी एक कहानी काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा-याचना की थी। हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी। तो वहीं सिकंदर की पत्‍‌नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरु को राखी बांधकर भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन भी लिया। पुरु ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का महत्व समझते हुए और अपनी बहन को दिए गए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवनदान दिया था।

– महाभारत काल में भी रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख मिलता है। जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब कृष्ण द्वारा उन्हें रक्षा के लिए राखी का पर्व मनाने की सलाह मिली। एक कहानी ये भी है कि शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी उंगली में चोट आ गई थी, तब द्रौपदी ने रक्त को रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर चीर उनकी उंगली पर बांध दी थी। माना जाता है कि यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था।