Raksha Bandhan Subh Muhurat, Puja Vidhi, Mantra, Bhadra Time LIVE Updates: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को सावन पूर्णिमा के साथ रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी आयु, उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। इसके साथ ही भाई अपनी बहन को उपहार देने के साथ रक्षा करना वचन देता है। इस साल ये पर्व देश के कोने-कोने में बहुत ही धूमधाम से मनाया गया है। इस साल रक्षाबंधन पर करीब 100 साल बाद ऐसा संयोग बना था जब भद्रा और पंचक का साया नहीं रहेगा। ऐसे में रक्षाबंधन के दिन कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति हुई। आइए जानते हैं राखी बांधने का सही समय, विधि, मंत्र, उपाय, नियम सहित अन्य जानकारी…
रक्षाबंधन में राखी बांधने का समय । रक्षाबंधन मनाने का कारण। रक्षाबंधन की थाली में रखें ये चीजें। लड्डू गोपाल को ऐसे बांधे राखी। राखी बांधते समय बोलें ये मंत्र। रक्षाबंधन की शुभकामनाएं
राखी बांधते समय कितनी गांठ लगानी चाहिए और कौन सी दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए? ऐसे में आइए जानते हैं कि भाई की कलाई पर राखी बांधते समय कितनी गांठ लगाना शुभ होता है।
सावन मास की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन मनाया जाता है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके सुख-समृद्धि और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। वहीं बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार देकर अपना प्रेम जाहिर करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर राखी मनाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? आपको बता दें कि इस त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध और रोचक कथा राजा बलि और माता लक्ष्मी से जुड़ी हुई है। ऐसे में आइए जानते हैं इस खास पर्व के पीछे की दिलचस्प कहानी।
रक्षाबंधन के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल को राखी बांधने का सही तरीका क्या है? बता दें कि शास्त्रों में लड्डू गोपाल को राखी बांधने के भी कुछ धार्मिक नियम बताए गए हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इसकी सही विधि के बारे में…
अगर आप भी अभी तक रक्षाबंधन की थाली नहीं ली है, तो एक बार पूरी पूजा सामग्री देख लें। आइए जानते हैं रक्षाबंधन की थाली में वह कौन-कौन सी चीजें होनी चाहिए, जिससे वह एकदम परफेक्ट थाली बन जाएं। आइए जानते हैं रक्षाबंधन की थाली की संपूर्ण सामग्री…
यदि आपका सगा भाई नहीं है, तो आप रक्षाबंधन पर अपने चचेरे, ममेरे या मित्र को राखी बांध सकती हैं। इसके अलावा, धार्मिक मान्यता के अनुसार आप भगवान कृष्ण, भगवान गणेश, हनुमान जी या किसी अन्य देवता को भी राखी अर्पित कर सकती हैं। यह भी पूर्णतः शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के साथ शनिवार का दिन है। आज पूर्णिमा तिथि दोपहर 1 बजकर 24 मिनट चक रहेगी। इसके बाद भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ हो जाएगी। इसके अलावा ही आज रक्षाबंधन के साथ सावन पूर्णिमा है।
इस साल रक्षाबंधन पर पंचक का साया भी नहीं रहेगा। अगस्त माह में पंचक का आरंभ 10 अगस्त 2025 से हो रहा है। रविवार के दिन होने के कारण इसे रोग पंचक कहा जाएगा।
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लाभ काल- प्रातः 10:15 से दोपहर 12:00 बजे
अमृत काल-दोपहर 1:30 से 3:00 बजे
चर काल- सायं 4:30 से 6:00 बजे
इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। बता दें कि 8 अगस्त 2025 को दोपहर 02:12 बजे से आरंभ होकर 9 अगस्त को सूर्योदय से पहले 5:46 तक ही थी
वैदिक पंचांग के मुताबिक, 9 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा. यानी राखी बांधने के लिए पूरे 7 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा। इसी बीच राहुकाल पड़ेगा।
श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि आरंभ- 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से
श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि समाप्त- 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर
रक्षाबंधन 2025 तिथि- उदया तिथि के हिसाब से रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025
भगवान कृष्ण को हल्दी और पीला चंदन का तिलक लगाएं। इससे भाई के वैवाहिक जीवन में खुशियां बढ़ेंगी।
भगवान हनुमान की पूजा करें, उन्हें लाल फूल अर्पित करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे भाई को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी।
भगवान शिव को सफेद चंदन का त्रिपुंड लगाएं और “ॐ श्रीनाथाय नमः” मंत्र का जाप करें। इससे भाई को लंबी आयु और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होगा।
रक्षाबंधन पर इस बार श्रावण नक्षत्र के साथ सौभाग्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है। रक्षाबंधन पर लगभग 95 वर्षों में एक बार होता है। आखिरी बार ऐसा संयोग 1930 के दशक में बना था। ऐसे में मेष, मिथुन और मीन राशि के जातकों को विशेष लाभ मिल सकता है।
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भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें राखी, पान, दूर्वा व फूल अर्पित करें। इससे भाई के करियर में प्रगति होगी और नौकरी में पदोन्नति व मान-सम्मान मिलेगा।
भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत और लाल फूल डालकर अर्पित करें। साथ ही भगवान शिव की पूजा करें। इससे भाई की सभी बाधाएं दूर होंगी।
वृषभ राशि की बहनें भगवान शंकर की विधिवत पूजा कर शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। इससे भाई-बहन के रिश्ते और मजबूत होंगे।
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इस राशि की बहनें भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करते हुए राखी चढ़ाएं और “ॐ गणेशाय नमः” मंत्र का जाप करें। इससे भाई को सुख-समृद्धि मिलेगी और उसका क्रोध शांत होगा।
रक्षाबंधन पर भाई को बहन को चाकू, नुकीली वस्तुएं, फोटो फ्रेम या काले रंग की कोई भी चीज उपहार में नहीं देनी चाहिए, क्योंकि ज्योतिष में इन्हें अशुभ माना गया है। इसके बजाय, आप बहन को सोने या चांदी की कोई वस्तु भेंट कर सकते हैं, जो शुभ और मंगलकारी मानी जाती है।
मेष: लाल रंग की राखी
वृषभ: सफेद या सिल्वर रंग की राखी
मिथुन: हरे रंग या चंदन से बनी राखी
कर्क: सफेद रंग या मोतियों वाली राखी
सिंह: पीले, गुलाबी या सुनहरे रंग की राखी
कन्या: हरे या सफेद रेशमी राखी
तुला: आसमानी, सफेद या क्रीम रंग की राखी
वृश्चिक: गुलाबी या लाल रंग की राखी
धनु: पीले रंग या रेशमी राखी
मकर: नीले, सफेद या सिल्वर रंग की राखी
कुंभ: सिल्वर या पीले रंग की राखी
मीन: पीले रंग की राखी
राखी बांधते समय भाई का मुख पूर्व दिशा और बहन का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। राखी हमेशा भाई के दाहिने हाथ की कलाई में ही बांधनी चाहिए।
वैदिक शास्त्र के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई को काले रंग के धागे से बनी या काले रंग वाली राखी न बांधें। ज्योतिष शास्त्र में काला रंग नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस रंग की राखी खरीदने या बांधने से बचना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल और पंचक दोनों ही समय शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने गए हैं। जिस प्रकार भद्रा में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, उसी तरह पंचक के दौरान भी भाई की कलाई पर राखी बांधने से परहेज करना चाहिए। लेकिन इस साल भद्रा और पंचक नहीं है
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रक्षाबंधन के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त हों। स्वच्छ वस्त्र पहनें और सबसे पहले देवी-देवताओं की पूजा करके उन्हें भी रक्षा सूत्र अर्पित करें।
शुभ मुहूर्त में चांदी, पीतल या किसी अन्य धातु की थाली में रोली, चावल, सिंदूर, मिठाई, राखी और दीपक सजा लें। पहले भगवान का ध्यान करें, फिर भाई को एक चौकी या ऊंचे स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठाएं और उसके सिर पर रूमाल या कपड़ा रख दें।
इसके बाद बहन भाई के माथे पर रोली का तिलक लगाए, फिर अक्षत लगाकर हल्के से ऊपर छिड़के और आरती उतारे। मंत्रोच्चार करते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें और मिठाई खिलाएं। भाई भी बहन को मिठाई खिलाकर उसके चरण स्पर्श करे, उपहार स्वरूप धन या कोई अन्य वस्तु भेंट करे और उसके सुखी व समृद्ध जीवन की कामना करे।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा की स्थिति से भद्रा काल का निर्धारण होता है। जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में रहता है, तो भद्रा का वास पृथ्वी लोक में माना जाता है। चंद्रमा के मेष, वृषभ, मिथुन या वृश्चिक राशि में होने पर भद्रा स्वर्ग लोक में स्थित रहती है। वहीं, जब चंद्रमा कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में होता है, तो भद्रा का वास पाताल लोक में माना जाता है।
श्रावण पूर्णिमा के साथ ये माह समाप्त हो जाएगा और भाद्रपद महीना आरंभ हो जाएगा। सावन पूर्णिमा पर शिव जी की विधिव पूजा करने का विधान है।
क्या आप जानते हैं रक्षाबंधन की शुरुआत से जुड़ी है राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा? आइए जानते हैं रक्षाबंधन मनाने की पीछे की पौराणिक कथा…
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई? जानिए राजा बलि और माता लक्ष्मी से जुड़ी प्राचीन कथा
राखी बांधते समय बहन को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए, जबकि भाई का मुख पूर्व की ओर होना शुभ माना गया है।
ॐ येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
