रक्षाबंधन भाई- बहन का त्योहार होता है। साथ ही यह त्योहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को शुरू हो रही है और 12 अगस्त सुबह तक रहेगी। वहीं इस दिन कई और त्याहोर भी पड़ रहे हैं जिसमें से  वेद माता गायत्री जयंती भी होती है। साथ ही साथ इस दिन नारली पूर्णिमा भी है, यजुर्वेद उपाकर्म भी इसी दिन है, हयग्रीव जयंती भी इसी दिन है, संस्कृत जयंती भी है। वहीं यह दिन सावन का आखिरी दिन भी है। मतलब इसके साथ ही सावन की समाप्ति हो जाएगी। इसलिए ज्योतिष के दृष्टिकोण से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। वहीं हम आइए राशि के अनुसार जानते हैं कि राखी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए और रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है।

रक्षाबंधन से जुड़ी कथाएं

शास्त्रों के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण शिशुपाल के साथ युद्ध कर रहे थे तब उनकी  तर्जनी उंगली में घाव हो गया और खून गिरने लगा, जिसके बाद  द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया था।  इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया था और भगवान ने यह वचन द्रौपदी के चीरहण के समय निभाकर रक्षा की।  तब से इस त्योहार को मनाया जा रहा है। साथ ही इस त्योहार को लेकर भगवान इंद्र को लेकर भी कहानी जुड़ी हुई है।

महिलाओं को नहीं करें अपमानित

रक्षाबंधन का त्याहोर भाई-बहन को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन किसी भी महिला को अपशब्द नहीं बोलें। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके पुण्य कर्म क्षीण हो सकते हैं यानी आपने जो भी अच्छे काम किए हैं, उनका फायदा आपको नहीं मिल पाएगा।

इस दिन नशा करने से बचें

ज्योतिष में पूर्णिमा तिथि बहुत ही पवित्र मानी गई है। इसलिए इस दिन किसी भी तरह का नशा आदि नहीं करें। साथ ही तामसिक चीजों को खाने से भी बचें। 

क्रोध नहीं करें

यह दिन भाई-बहन के अमर प्रेम का प्रतीक है। इसलिए इस दिन क्रोध करने से बचे। मतलब अगर किसी से कोई गलती या भूल भी हो जाए, तो भी शांत बने रहे। इसलिए इस दिन खुश रहें और दूसरों को भी खुशी देने का प्रयास करें।

भिक्षुक को कुछ न कुछ जरूर दें

रक्षाबंधन के दिन कोई भिखारी आपके द्वार पर आ जाए तो उसको कुछ न कुछ जरूर दें। न कि उसको खाली हाथ जाने दें। मतलब अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ जरूर दें। साथ ही पूर्णिमा तिथि पर दान करने का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों मे बताया गया है।