Raksha Bandhan (Rakhi) 2020 Date and Time, Puja Vidhi, Timings in India: श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं। राखी इस बार 3 अगस्त को है। खास बात ये है कि इस दिन सावन सोमवार भी है। रक्षाबंधन पर भद्रायोग सुबह 9.30 पर ही समाप्त हो जाएगा। जिससे पूरे दिन राखी बांधने का समय रहेगा।
कैसे मनाएं रक्षाबंधन? राखी की थाल सजा लें। जिसमें रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र यानी राखी और मिठाई रखें। घी का दीपक भी जलाकर रख लें। रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं। भाई के माथे पर तिलक लगाएं। रक्षा सूत्र बांधें और आरती करें। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं। ध्यान रखें कि राखी बांधने के समय भाई और बहन दोनों का सिर ढका होना चाहिए। इसके बाद अपने बड़ों का आशीर्वाद लें।
राखी का मुहूर्त: 03 अगस्त को सुबह 9.28 बजे के बाद किसी भी समय राखी बांधी जा सकती है। वैसे राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 01.48 बजे से शाम 04.29 बजे तक रहेगा। दूसरे शुभ मुहूर्त की बात करें तो ये शाम 07.10 बजे से रात 09.17 बजे तक रहेगा। रक्षा बंधन का पर्व रात 09.17 PM तक मनाया जा सकता है।
महत्व: राखी पर्व से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार एक बार देवताओं और असुरों में युद्ध आरंभ हो गया था। जिसमें देवताओं को हार की स्थिति समझ आ रही थी। तब इंद्र की पत्नी इन्द्राणी ने देवताओं के हाथ में रक्षा कवच बांधा। जिससे देवताओं की विजय हुई। माना जाता है कि यह रक्षा विधान श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर ही शुरू किया गया था।
सन् 1535 में जब मेवाड़ की रानी कर्णावती पर बहादुर शाह ने आक्रमण कर दिया, तो उसने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर मदद की गुहार की थी। क्योंकि रानी कर्णावती स्वयं एक वीर योद्धा थीं इसलिए बहादुर शाह का सामना करने के लिए वह स्वयं युद्ध के मैदान में कूद पड़ी थीं, परंतु हुमायूँ का साथ भी उन्हें सफलता नहीं दिला सका।
यदि आपके भाई की राशि मेष है तो इसका स्वामी मंगल है। ऐसे लोगों को लाल रंग की राखी बांधना शुभ माना जाता है। इससे उनके जीवन में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है।
रक्षा बंधन का इतिहास हिंदू पुराण कथाओं में है। हिंदू पुराण कथाओं के अनुसार, महाभारत में, (जो कि एक महान भारतीय महाकाव्य है) पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की कलाई से बहते खून (श्री कृष्ण ने भूल से खुद को जख्मी कर दिया था) को रोकने के लिए अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर बांधा था। इस प्रकार उन दोनो के बीच भाई और बहन का बंधन विकसित हुआ था, तथा श्री कृष्ण ने उसकी रक्षा करने का वचन दिया था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रक्षाबंधन के मौके पर रोडवेज की बसों में महिलाओं को नि:शुल्क यात्रा की सुविधा देने के शनिवार को निर्देश दिये। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि रक्षाबन्धन के पर्व के दृष्टिगत प्रदेश में रविवार को राखी तथा मिठाई की दुकानें खुली रहेंगी ।
सावन पूर्णिमा की तिथि दो अगस्त को रात्रि 8. 43 बजे शुरू होगी। इसके आरंभकाल से तीन अगस्त की सुबह 9.28 बजे तक भद्रा रहेगी। भद्रा समाप्ति के बाद राखी बांधी जा सकती है। वैसे तीन अगस्त को राखी बांधने के लिए दो चरणों में शुभ मुहूर्त मिलेंगे। पहला दोपहर में 1.35 बजे से शाम 4. 35 बजे तक है। इसके बाद शाम 7.30 बजे से रात 9.30 बजे के बीच बहुत अच्छा मुहूर्त है।
रक्षाबंधन का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ये रक्षाबंधन बहुत खास होने वाला है क्योंकि इस दिन ग्रह-नक्षत्रों के अद्भुत संयोग बन रहे हैं।
रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र का होना फलदायी माना जाता है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का शुभ संयोग भी बन रहा है। इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों दीर्घायु होते हैं।
महाभारतकाल में जब श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया था तो उस समय उनकी ऊंगली कट गयी थी। यह देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्ला फाड़ कर उनकी ऊंगली पर बांध दिया था. इसे एक रक्षासूत्र की तरह देखा गया।
सुबह 9.28 बजे के बाद किसी भी समय राखी बांधी जा सकती है। वैसे राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 01.48 बजे से शाम 04.29 बजे तक रहेगा।
जाने-अनजाने में बाजार से राखियां लाने में टूट जाती हैं और हम उसे वापस जोड़कर सही कर लेते हैं। लेकिन अगर कोई राखी खंडित हो जाए तो उसका प्रयोग भाई की कलाई पर ना करें ऐसा करना अशुभ होता है।
बाजार में कई तरह की डिजाइनर राखियां आ रही हैं। प्लास्टिक की राखियों का इस्तेमाल ना करें क्योंकि प्लास्टिक को केतु का पदार्थ माना जाता है और ये अपयश को बढ़ाता है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन प्लास्टिक की राखियों से बचें और भाई की कलाई पर इसे भूलकर भी न बांधे।
रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे सलूनों भी कहते हैं। राखी बांधते तो समय जो याद रखा जाता है वो है भद्रा काल। दरअसल शास्त्रों में राहुकाल और भद्रा के समय शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। ऐसे मेें सही समय पर ही भाई की कलाई पर राखी बांधे।
राखी की थाल सजा लें। जिसमें रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र यानी राखी और मिठाई रखें। घी का दीपक भी जलाकर रख लें। रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं। भाई के माथे पर तिलक लगाएं। रक्षा सूत्र बांधें और आरती करें। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं।
काले रंग का धागा या राखी, टूटी या खंडित राखी, प्लास्टिक की राखी और अशुभ चिन्हों वाली राखी नहीं बांधनी चाहिए। माना जाता है कि अगर कोई बहन इस तरह की राखी अपने भाई को बांधती है, तो भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है।
रक्षाबंधन के दिन पूर्णिमा होती है, इस तिथि को सौम्या तिथि माना गया है। साथ ही चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होता है। इस दिन चंद्रदेव की पूजा करने से व्यक्ति का हर क्षेत्र पर अधिपत्य होता है।
भाई को तिलक और राखी बांधते समय बहनों को ‘येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचलः’ मंत्र का जापकर शुभ माना गया है। कहते हैं कि इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, राखी बांधते समय भाई को पूर्व दिशा में बैठना शुभ माना जाता है। जबकि तिलक लगाते समय बहन का मुंह पश्चिम दिशा में होना शुभ होता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, भाई को राखी पर काले रंग का धागा या राखी, टूटी या खंडित राखी, प्लास्टिक की राखी और अशुभ चिन्हों वाली राखी नहीं बांधनी चाहिए। माना जाता है कि अगर कोई बहन इस तरह की राखी अपने भाई को बांधती है, तो भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है।
श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2020) का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 3 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन बहनें सज-संवरकर मेहंदी रचे हाथों से भाइयों को तिलक कर दाहिनी कलाई पर राखी बांधती हैं। ज्योतिशास्त्र के मुताबिक, भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधना ही शुभ होता है।
राखी की थाल सजा लें। जिसमें रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र यानी राखी और मिठाई रखें। घी का दीपक भी जलाकर रख लें। रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं। भाई के माथे पर तिलक लगाएं। रक्षा सूत्र बांधें और आरती करें। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं। ध्यान रखें कि राखी बांधने के समय भाई और बहन दोनों का सिर ढका होना चाहिए। इसके बाद अपने बड़ों का आशीर्वाद लें।
कहा जाता है कि महाभारतकाल में जब श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया था तो उस समय उनकी ऊंगली कट गयी थी। यह देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्ला फाड़ कर उनकी ऊंगली पर बांध दिया था. इसे एक रक्षासूत्र की तरह देखा गया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को सदैव उनकी रक्षा करने का वचन दिया था। इसके बाद जब भरी सभा में दुशासन द्रौपदी का चीरहरण कर रहा था तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज रखकर और अपना वचन पूरा किया।
राखी बांधने के समय भद्रा नहीं होनी चाहिए. कहते हैं कि रावण की बहन ने उसे भद्रा काल में ही राखी बांध दी थी इसलिए रावण का विनाश हो गया
03 अगस्त को सुबह 9.28 बजे के बाद किसी भी समय राखी बांधी जा सकती है। वैसे राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 01.48 बजे से शाम 04.29 बजे तक रहेगा।
कोरोना संक्रमण का असर भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन पर्व पर भी साफ देखने को मिल रहा है। संक्रमण के डर से बहनें दूर रह रहे भाईयों के पास जाने से बच रही हैं। भाईयों को भी न आने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में इस बार डाकघरों पर राखियां भेजने का ज्यादा लोड है। घंटाघर स्थित मुख्य डाकघर (जीपीओ) में डाक से राखी भेजने के लिए प्रतिदिन भीड़ उमड़ रही है।
3 अगस्त को रक्षाबंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र का होना फलदायी माना जाता है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का शुभ संयोग भी बन रहा है। इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों दीर्घायु होते हैं।
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार 3 अगस्त को मनाया जाएगा। इसी दिन सावन का आखिरी सोमवार भी है जिसकी वजह से रक्षाबंधन का महत्व और बढ़ गया है। रक्षाबंधन का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ये रक्षाबंधन बहुत खास होने वाला है क्योंकि इस दिन ग्रह-नक्षत्रों के अद्भुत संयोग बन रहे हैं।