Rajadhiraja Yoga In Kundali: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आपका जीवन किस दिशा में जाएगा और कितने अच्छे या फिर बुरे फल होंगे। इस बारे में कुंडली के द्वारा काफी हद तक जान सकते हैं। कुंडली में विभिन्न भावों से किसी न किसी राजयोग का निर्माण होता है, जो व्यक्ति तो तरक्की, मान-सम्मान के साथ अपार धन-संपदा दिलाता है। इन्हीं ही योगों में से एक है राजाधिराज योग। नाम से ही समझ आ रहा है कि इस योग के बनने से रंक भी राजा बन जाता है। जानिए कैसे बनता है ये योग और क्या होता है इसका प्रभाव।

कब बनता है राजाधिराज योग?

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में राजयोग बनने की मुख्य भूमिका मां लक्ष्मी और विष्णु के स्थान ही होती है। बता दें कि जन्म कुंडली में पहला, चौथा, सातवां और दसवां भाव भगवान विष्णु का माना जाता है। इन स्थानों को केंद्र भाव कहते हैं। इसी के साथ कुंडली के पांचवें, नवम भाव को लक्ष्मी का स्थान कहते हैं जिसे त्रिकोण भाव के नाम से जानते हैं। जिस तरह से मां लक्ष्मी के बिना विष्णु सी अधूरे है। इसी तरह केंद्र के बना त्रिकोण अधूरा है। ऐसे में ये राजयोग आपको तभी फल देता है  जब ग्रहों की दशा या अंतर्दशा आती है। ऐसे में जब कुंडली के पहले भाव का स्वामी पंचम या फिर नवम भाव में स्थित है, तो इस राजयोग का निर्माण होता है।

जन्म कुंडली की सप्तम भाव के स्वामी पंचम भाव के स्वामी के साथ स्थित हो जाते हैं, तो इस राजयोग का निर्माण होता है।

जन्म कुंडली में चतुर्थेश, पंचमेश या फिर नवमेश का आपस में परस्पर दृष्टि संबंध स्थापित होता है, तो इस राजयोग का निर्माण होता है।

सप्तम भाव का स्वामी पंचम या फिर नवम भाव में स्थित होने पर भी  राजाधिराज योग का निर्माण होता है।

सप्तमेश के नवम भाव में होने पर भी इस योग का निर्माण होता है। आमतौर पर यह योग विवाह के बाद बनता है।

सप्तमेश का पंचमेश या नवमेश के साथ राशि परिवर्तन होने  से इस राजयोग का निर्माण होता है।

कुंडली में राजाधिराज योग बनने से लाभ

  • वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में ये योग बनने से व्यक्ति को धन,बुद्धि, शक्ति, समाज में मान-सम्मान के साथ अच्छे चरित्र की प्राप्ति होती है।
  • अगर किसी जातक की कुंडली में राजाधिराज योग बनता है, तो वह राजाओं की तरह सुख भोगता है।
  • ये योग बनने से उच्च पद की प्राप्ति हो सकती है। इसके साथ ही समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  • कुंडली में राजाधिराज योग बनने से भाग्य खुल जाता है और हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। ऐसा जातक काफी भाग्यशाली माना जाता है।
  • कुंडली में ये योग बनने से पिता-माता के जीवन पर भी अच्छा असर पड़ता है। उच्च पद के साथ भाग्य का पूरा साथ मिलता है।