Rahu Astrology: ज्योतिष शास्त्र में योग, मुहूर्त और ग्रह नक्षत्रों के अलावा कई काल यानि कि समय का भी जिक्र किया गया है। इन्हीं में से एक है राहु काल। इस काल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है। आइए जानते हैं कि राहु काल क्या है और क्यों इसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
राहु ग्रह (Rahu Grah)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रहों में राहु ग्रह को क्रूर ग्रह माना गया है। कुंडली में राहु दोष होने पर मानसिक तनाव, व्यापार में घाटा, आर्थिक नुकसान आदि कई हानि होती है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह शांति के कई उपाय भी बताए गए हैं। मान्यता है कि इन उपायों को करने से जातक को राहु दोष से मुक्ति मिलती है।
साथ ही रोहु दोष के कारण हो रही परेशानियां कम हो जाती है। राहु ग्रह की शांति के लिए मां दुर्गा और भैरव देव की पूजा करनी चाहिए। राहु यंत्र की पूजा करें और दान आदि करना भी लाभदायक बताया गया है।
क्या होता है राहु काल (What is Rahu Kaal)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोजाना आने वाला वह समय, जो ज्योतिष के अनुसार अशुभ होता है और उस पर राहु ग्रह का साया होता है। उस समय को राहु काल कहा जाता है। इस समय में कोई भी शुभ काम करना वर्जित है। मान्यता है कि राहु काल में किया गया कार्य पूर्ण नहीं होता है। इसलिए कोई भी शुभ या नया कार्य करने के लिए राहु काल को देखा जाता है। दिन में किस समय राहु काल है या किस समय नहीं है। इसकी गणना पंचांग और ज्योतिष के अनुसार की जाती है।
राहु काल के दौरान क्या न करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु काल के दौरान बहुत से कार्यो को करने की मनाही है।
-कोई भी नया कार्य न शुरू करें।
-गृह प्रवेश न करें।
-कोई भी नई वस्तु न खरीदें।
-दुकान आदि का उद्घाटन न करें।
-संपत्ति या नया वाहन न खरीदें।
-कोई नया व्यापार न शुरू करें।