Radha Ashtami Vrat Katha In Hindi 2024: आज पूरे देश मे राधा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है । शास्त्रों के अनुसार इस दिन राधा रानी का जन्म हुआ था। वहीं उस दिन सोमवार के दिन अनुराधा नक्षत्र था। वहीं इस साल राधा अष्टमी पर प्रीति योग, गजकेसरी राजयोग, बुधादित्य राजयोग, रवि योग और शश राजयोग का निर्माण हो रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। वहीं आपको बता दें कि राधा रानी की पूजा इस व्रत कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं हैं  ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राधाजी के जन्म की कथा…

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त 2024 (Radha Ashtami 2024 Shubh Muhurat 2024)

  • शुभ चौघड़िया 10 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 19 मिनट तक। इसपर भद्राकाल का समय 11 बजकर 39 मिनट तक है इसलिए उसका आप त्याग करें। 11.31 के बाद आप 12 बजकर 18 मिनट तक पूजा- अर्चना कर सकते हैं।
  • चल चौघड़िया दोपहर में 3 बजकर 23 मिनट से शाम में 4 बजकर 57 मिनट तक।
  • लाभ चौघड़िया शाम में 4 बजकर 57 मिनट से शाम में 6 बजकर 32 मिनट तक।

राधा जी के जन्म की कथा (Radha Birth Story / Radha Rani Ki Katha / Radha Ashtmi Katha)

राधा श्रीकृष्ण के साथ गोलोक में निवास किया करती थीं। आपको बात दें कि एक समय की बात है कि देवी राधा गोलोक में नहीं थीं, उस समय भगवान श्री कृष्ण अपनी एक सखी विराजा के साथ गोलोक में विहार कर रहे थे। राधाजी यह इस बात का पता लगा वो बहुत क्रोधित हो गईं और तुरंत श्रीकृष्ण के पास जा पहुंची और उन्हें भला-बुरा कहने लगीं। यह देखकर श्रीकृष्ण के मित्र श्रीदामा को बहुत बुरा लगा और उन्होंने राधा को पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दे दिया। राधा को इस तरह क्रोधित देखकर विराजा वहां से नदी रूप में चली गईं।

इस श्राप के बाद राधा ने श्रीदामा को राक्षस कुल में जन्म लेने का शाप दे दिया। देवी राधा के श्राप के कारण ही सुदामा ने शंखचूड़ राक्षस के रूप में जन्म लिया। वही राक्षस, जो भगवान विष्णु का अनन्य भक्त बना और देवी राधा ने वृषभानुजी की पुत्री के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया। लेकिन राधा वृषभानु जी की पत्नी देवी कीर्ति के गर्भ से नहीं जन्मीं। जब श्रीदामा और राधा ने एक-दूसरे को श्राप दे दिया तब श्रीकृष्ण ने राधा से कहा कि आपको पृथ्वी पर देवी कीर्ति और वृषभानु जी की पुत्री के रूप में रहना होगा। वहां आपका विवाह रायाण नामक एक वैश्य से होगा। रायाण मेरा ही अंशावतार होगा और पृथ्वी पर भी आप मेरी प्रिया बनकर रहेंगी। उस रूप में हमें विछोह का दर्द सहना होगा। अब आप पृथ्वी पर जन्म लेने की तैयारी करें। सांसारिक दृष्टि में देवी कीर्ति गर्भवती हुईं और उन्हें प्रसव भी हुआ। लेकिन देवी कीर्ति के गर्भ में योगमाया की प्रेरणा से वायु का प्रवेश हुआ और उन्होंने वायु को ही जन्मदिया, जब वह प्रसव पीड़ा से गुजर रहीं थी, उसी दौरान वहां देवी राधा कन्या के रूप में प्रकट हो गईं।

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