Radha Ashtami 2024 Date And Time: राधा अष्टमी पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद हर साल आता है। यह दिन राधा रानी को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, राधा रानी का जन्म सोमवार के दिन अनुराधा नक्षत्र में मध्यकाल यानी दोपहर के समय हुआ था। साथ ही उस दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। ज्योतिष गणना के अनुसार, इस बार राधा अष्टमी पर ग्रहों का बेहद ही दुर्लभ और मंगलकारी संयोग बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं राधा अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और शुभ योग।

राधा अष्टमी तिथि 2024 (Radha Ashtami 2024 Tithi)

पंचांग अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर को रात 11 बजकर 12 मिनट पर आरंभ होगी। वहीं इसका अंत अगले दिन यानी 11 सितंबर को रात 11 बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी।

राधा अष्टमी पर बन रहे कई दुर्लभ योग

पंचांग के मुताबिक राधा अष्टमी पर इस बार कई दुर्लभ योग का निर्माण होने जा रहा है। इस बार राधा अष्टमी पर प्रीति योग, गजकेसरी राजयोग, बुधादित्य राजयोग, रवि योग और शश राजयोग बनेंगे। जिनको ज्योतिष में बेहद शुभ माना गया है।

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त 2024 (Radha Ashtami 2024 Shubh Muhurat 2024)

  • शुभ चौघड़िया 10 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 19 मिनट तक। इसपर भद्राकाल का समय 11 बजकर 39 मिनट तक है इसलिए उसका आप त्याग करें। 11.31 के बाद आप 12 बजकर 18 मिनट तक पूजा- अर्चना कर सकते हैं।
  • चल चौघड़िया दोपहर में 3 बजकर 23 मिनट से शाम में 4 बजकर 57 मिनट तक।
  • लाभ चौघड़िया शाम में 4 बजकर 57 मिनट से शाम में 6 बजकर 32 मिनट तक।

राधा अष्टमी का महत्व (Radha Ashtami 2024)

राधा अष्टमी का शास्त्रों में विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन राधा रानी की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं इस दिन राधा रानी की पूजा करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है। वहीं सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।

पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप

ओम ह्रीं श्रीराधिकायै नम:।

ओम ह्रीं श्री राधिकायै नम:।

नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे।

ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे।।

नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।

रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।।

मंत्रैर्बहुभिर्विन्श्वर्फलैरायाससाधयैर्मखै: किंचिल्लेपविधानमात्रविफलै: संसारदु:खावहै।

एक: सन्तपि सर्वमंत्रफलदो लोपादिदोषोंझित:, श्रीकृष्ण शरणं ममेति परमो मन्त्रोड्यमष्टाक्षर।।