Putrada Ekadashi Vrat: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशिष्ट महत्व होता है। वहीं सावन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। विष्णु पुराण में पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करते हैं। इस दिन व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है और संतान के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 7 अगस्त को रात 11 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगी और 8 अगस्त को रात 9 बजे तक रहेगी। लेकिन व्रत 8 अगस्त को ही रखा जाएगा। मान्यता के अनुसार जो लोग संतान प्राप्त करना चाहते हैं वो पति- पत्नी इस दिन जरूर व्रत रखें।
एकादशी व्रत पूजा- विधि
- पुत्रदा एकादशी के दिन जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- अगर आप पीले साफ स्वच्छ धारण करते हैं तो बेहद शुभ रहेगा।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इसके बाद चौकी पर एक पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें।
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें और पंचामृत का भोग लगाएं।
- भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
- इस दिन पति- पत्नी व्रत भी रखें।
- भगवान विष्णु की आरती करें।
करें ये उपाय
–विष्णु पुराण के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए इस दिन पति और पत्नि दोनों को सुबह उठकर विष्णु भगवान की तस्वीर या प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करना है और फिर पूजा- अर्चना करनी है। इसके साथ ही भगवान विष्णु को पीले फल फूल चढ़ाने हैं। तुलसी की पत्ते, पंचामृत भगवान विष्णु को समर्पित करना है। उसके बाद प्रसाद ग्रहण करना है।
-अगर आपको संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है। या फिर संतान प्राप्ति के योग नहीं बन रहे हैं, संतान को शारीरिक कष्ट रहता है तो पुत्रदा एकादशी के दिन बालगोपाल की पूजा कर सकते हैं। बालगोपाल को घर पर स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद रोजाना बालगोपाल की सेवा कर सकते हैं।