Pukhraj Stone Benefits: रत्न ज्योतिष अनुसार हर ग्रह को मजबूत करने के लिए कोई न कोई रत्न होता है। जिससे ग्रहों के शुभ प्रभाव को बढ़ाया जा सके और सकारात्मक परिणाम हासिल किये जा सकें। पुखराज रत्न की बात करें तो ये बृहस्पति ग्रह का रत्न माना जाता है। इसे पहनने से भाग्य में वृद्धि होती है। शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे परिणाम हासिल होते हैं। दरिद्रता दूर होती है। जानिए पुखराज रत्न से जुड़े अन्य फायदे और इसे धारण करने की विधि।
किसे करना चाहिए धारण? जानकारी अनुसार जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह पीड़ित हो उन्हें रत्न ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह से इस रत्न को धारण करना चाहिए। धनु और मीन राशियों के जातकों के लिए ये रत्न सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। इसके अलावा मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक राशि के जातक भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
किन्हें नहीं पहनना चाहिए? वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि के जातकों को ये रत्न धारण नहीं करना चाहिए। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में इन राशि के जातक भी पुखराज धारण कर सकते हैं। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में गुरु बलहीन है उन्हें भी पुखराज पहनने से बचना चाहिए। पुखराज कभी भी पन्ना, नीलम, हीरा, गोमेद और लहसुनिया रत्नों के साथ धारण नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे फायदा मिलने की बजाय नुकसान होने की संभावना रहती है। (यह भी पढ़ें- वास्तु शास्त्र अनुसार घर में इन 5 मूर्तियों को रखने से मां लक्ष्मी की बनती है विशेष कृपा)
इस रत्न के लाभ: ये रत्न शांति प्रदान करता है। दिमाग एकाग्र करता है जिससे व्यक्ति अपने लक्ष्य से नहीं भटकता। इसे पहनने से घर में सुख-समृद्धि आती है। व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता में सुधार आता है। जिन लड़कियों के विवाह में विलंब हो रहा हो उन्हें ये रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। इसे धारण करने से वैवाहिक जीवन में भी खुशियां आती हैं। पौराणिक मान्यताओं अनुसार ये रत्न भगवान गणेश का सहयोगी माना जाता है इसे धारण करने से धन, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होने की मान्यता है।
पुखराज धारण करने की विधि: पुखराज कम से कम 2 कैरेट या उससे ज्यादा के वजन का होना चाहिए। इसे गुरुवार के दिन धारण किया जाता है। इसे धारण करने से पहले रत्न जड़ित अंगूठी को गंगा जल या दूध में डुबोकर रख दें। मान्यता है ऐसा करने से रत्न में कोई अशुद्धि नहीं रहती है। इसके बाद अंगूठी को दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण कर लें। 3 वर्ष बाद नया पुखराज धारण करें। (यह भी पढ़ें- शनि कुंभ राशि में करेंगे प्रवेश; जानिए सभी राशियों पर क्या रहेगा शनि साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव?)