Pukhraj Stone: रत्न विज्ञान में 84 उपरत्न और 9 रत्नों का वर्णन मिलता है, जिसमें से प्रमुखतया 5 ही रत्न माने गए हैं, जो हैं, माणिक्य, पुखराज, पन्ना, हीरा, मूंगा। वहीं रत्न और ज्योतिष का परस्पर धनिष्ठ संबंध है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से प्रत्येक ग्रह का एक प्रतिनिधि रत्न निर्धारित किया गया है। जो मनुष्य के जीवन में उस ग्रह विशेष के दुष्प्रभावों को नष्ट करता है। रत्नों का मनुष्य के जीवन पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्नों में अलौलिक शक्तियां होती हैं यदि रत्न सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किए जाएं तो उनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है। साथ ही मनुष्य को आर्थिक समस्याओं से निजात मिलती है।

आज हम यहां बात करने जा रहे हैं पुखराज रत्न के बारे में। जिसको गुरु ग्रह का रत्न माना जाता है। ज्योतिष में गुरु को एक सात्विक ग्रह कहा जाता है। साथ ही सुख- समृद्धि और वैभव पाने के लिए पुखराज धारण किया जाता है। आइए जानते हैं गुरु रत्न धारण करने की सही विधि और किन राशि वालों के इसे करना चाहिए धारण…

ऐसा होता है पुखराज:

ज्योतिष शास्त्र में पुखराज को गुरु का रत्न बताया गया है। पुखराज पीले और सफेद रंग में पाया जाता है। पुखराज को संस्कृत में पुष्पराज, गुरु रत्न, गुजराती में पीलूराज, कन्नड़ में पुष्पराग, हिन्दी में पुखराज और अंग्रेजी में यलोसफायर नाम से भी जाना जाता है। सबसे अच्छे पुखराज ब्राजील और श्रीलंका( सीलोनी) देश के माने जाते हैं।

ये लोग धारण कर सकते हैं पुखराज:

  • ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में गुरु उच्च के या सकारात्मक विराजमान हों वो लोग पुखराज धारण कर सकते हैं। 
  • साथ ही मीन और धनु राशि और लग्न वाले लोग पुखराज धारण कर सकते हैं। क्योंकि इन दोनों राशियों पर गुरु बृहस्पति का ही आथिपत्य होता है।
  •  तुला लग्न वाले लोग पुखराज धारण कर सकते हैं, क्योंकि गुरु आपके पंचम भाव के स्वामी होते हैं। इसलिए आपको पुखराज धारण करना शुभफलदायी साबित हो सकता है।
  • मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक राशि के जातक भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
  • अगर कुंडली में गुरु ग्रह नीच के विराजमान हों तो पुखराज धारण नहीं करना चाहिए।

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पुखराज धारण करने की विधि:

 पुखराज कम से कम सवा 7 कैरेट या उससे ज्यादा के वजन का होना चाहिए। साथ ही पुखराज को सोने की अंगूठी में धारण करना शुभ बताया गया है। वहीं इसे गुरुवार के दिन धारण किया जाता है। इसे धारण करने से पहले रत्न जड़ित अंगूठी को गंगा जल या दूध में डुबोकर रख दें। मान्यता है ऐसा करने से रत्न में कोई अशुद्धि नहीं रहती है। इसके बाद अंगूठी को दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण कर लें और गुरु ग्रह से संबंधित दान मंदिर में किसी पुजारी को चरण स्पर्श करके दे आएं। (यह भी पढ़ें)- Holika Dahan Upay 2022: होली पर करें ये खास उपाय, मां लक्ष्मी की रहेगी कृपा, आर्थिक समस्या से मिल सकती है निजात