Makar Sankranti 2018 Puja Vidhi: सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य के इस संक्रमण का महत्व इसलिए माना जाता है क्योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। इस साल देश में 14 और 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है। इसके पीछे कारण है कि मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी 2018 को रात 8 बजकर 8 मिनट से 15 जनवरी 2018 को दिन के 12 बजे तक रहेगा। इसलिए देशभर में 14 और 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जा रही है। भारत देश में इस पर्व को विभिन्न रुप में मनाया जाता है जैसे बिहार में इसे खिचड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू आदि कहा जाता है। मकर संक्रांति को भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार के रुप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति भारतीय सभ्यता में एक शुभ चरण की शुरुआत माना जाता है। इसे सूर्य देव का पर्व माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन प्रातः काल उठकर नित्य क्रम करने के बाद तिलमिश्रित जल से स्नान किया जाना चाहिए। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। भूमिपर चंदन से कर्णिका सहित अष्टदल कमल बनाएं। कमल पर सूर्य देव आवाहन करके उन्हें स्थापित करें। हाथ में अक्षत लेकर सूर्य मंत्र का उच्चारण करें। लकड़ी के पटरे पर ही सूर्यदेव के चित्र को स्थापित करें। अक्षत, चंदन, धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा करके सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय कहें कि अनंत, आप ही विश्व है और विश्व का स्वरुप हैं और उनको नमस्कार करें। इस दिन पवित्र नदी में स्नान का महत्व भी माना जाता है। यदि पवित्र नदी या तीर्थ स्थल के जल से भी स्नान संभव नहीं हो तो दूध-दही के मिश्रण से स्नान किया जा सकता है।
पूजन सामग्री-
– सूर्यदेव की प्रतिमा
– चंदन
– पुष्प
– पुष्प माला
– अक्षत
– धूप
– दीप
– घी
– गंध
– कलश
– नैवेद्य
– लकड़ी की चौंकी
– आसन
– जल-पात्र
इस दिन पूजा अर्चना करके भगवान को तिल और गुड़ से बने सामग्री का भोग लगाया जाता है। इस गिन पेड़-पौधों के पूजन का महत्व भी माना जाता है। गाय या भैंस के दूध निकालने का कार्य करने से बचना ही लाभदायक माना जाता है। भारत में कई स्थानों पर इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व है। इसी के साथ मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करने और खाने का भी महत्व माना जाता है।